ऐतिहासक पराड़कर भवन के गर्दे सभागार में सभी दलों से जुड़े लोगों की रविवार को जुटान हुई। इसमें कांग्रेसी भी थे तो वामपंथी भी। साथ ही थे विभिन्न सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता। संविधान बचाओ, देश बचाओ शीर्षक से आयोजित इस सर्वदलीय सभा में वो लोग भी शामिल थे जो 19 दिसंबर को नागरिकता कानून के विरोध में जेल गए थे। इस मौके पर सभी केंद्र सरकार के 6 साल के कार्यकाल को देश का काला काल करार दिया। कहा कि सत्ता में आने के पहले भारतीय जनता पार्टी ने देश से जो-जो वादे किए थे उनमें से जब हर मुद्दे पर वो फ्लॉप हुए तो 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद उन मुद्दों को एक-एक कर लागू करना शुरू किया जिसके नाम पर वो आमजन की भावनाओं को भड़का कर सत्ता में आए थे। लेकिन उनमें से कई मसलों पर देश में शांति रही। तब उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे के तहत नागरिकता कानून थोपने की कोशिश की जिसका देश व्यापी विरोध शुरू हुआ।
उन्होंने कहा कि सरकार आजादी के तत्काल बाद के उस काल में ले जाना चाहती है जब संपूर्ण भारत वर्ष में छोटी-छोटी रियासतें थीं। ये सरकार सरदार बल्लभ भाई पटेल के उन प्रयासों पर भी पानी फेरना चाहती है जिसके तहत पटेल ने टुकड़ों में बंटे देश को एक माला में पिरोया था। कहा कि ये सरकार अपने हिडेन एजेंडे के तहत पूरे देश को एक वैचारिक ढांचे में बदलना चाहती है। लेकिन देश का नौजवान, देश का छात्र, अधिवक्ता, व्यापारी, उद्यमी, समाजसेवी ऐसा होने नहीं देगा।
वक्ताओं ने कहा कि यह देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी से यह बिगुल फूंका जा रहा है ताकि इसका संदेश पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जाए। इसके तहत डॉ भीम राव अम्बेडकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे विद्वानों द्वारा तैयार संविधान में जिस-जिस को विश्वास है, भारत भूमि से जिस-जिस को मोबहब्बत है उन सभी को शामिल किया जाएगा। आंदोलन के तहत हम न्यूनतम 5 की संख्या और अधिकतम जितने हो जाएं, सभी धारा 144 तोड़ कर जेल जाएंगे और जमानत नहीं कराएंगे। अगर धारा 144 से इतर धाराएं लगाई गईं तो हम उसका कानून के दायरे में विरोध करेंगे।
सर्वदलीय सभा में तय किया गया कि आंदोलन से पहले एक न्यूनतम 21 सदस्यीय संचालन समिति बनेगी। आंदलोन शुरू होने से पहले इसका एजेंडा सभी मिल बैठ कर तय करेंगे। तय एजेंडे को उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मानवाधिकार आयोग को भेजा जाएगा। उसकी प्रति जिले के डीएम व एसएसपी को सौंपी जाएगी। पूरी लड़ाई संविधान के दायरे में होगी और पूरी तरह से अहिंसक और लोकतांत्रिक ढंग से होगी। आंदोलन में यह भी ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी तरह से कोई अहिंसक शामिल न हो। इस पूरे आंदोलन में किसी से चंदा नहीं लिया जाएगा। यहां तक कि एनजीओ को आंदलन से दूर रखने का भी आह्वान किया गया। तय हुआ कि आंदोलन सविनय अवज्ञा की तर्ज पर होगा। कोई भी आंदोलनकारी कोई दस्तावेज न दिखाएगा न सौंपेगा। और तो और इसके लिए आम नागरिकों को भी जागरूक किया जाएगा कि वो सरकारी फरमान का विनय पूर्वक, महात्मा गांधी के सिद्धांतों के अनुरूप बहिष्कार करेंगे। आम नागरिकों के पर्चा बांट कर उन्हें जागरूक किया जाएगा। सभा में 19 दिसंबर 2019 को जेल जाने वाले सभी साथियों के प्रति आभार भी जताया गया।
सभा में पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा, नंदलाल पटेल, जयशंकर सिंह, पूर्व विधायक मेवा लाल बागी, पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, वऱिष्ठ अधिवक्ता बनारस बार के पूर्व महामंत्री विनोद शुक्ला, अनिल पाठक, काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव, डॉ लेनिन रघुवंशी, वरुण सिंह बिसेन, जगदीश यादव, विजय कुमार, श्रुति नागवंशी, विनय राय मुन्ना, श्वेता राय, प्रवीण सिंह बबलू, जागृति राही, डॉ अनूप श्रमिक, असद कमाल लारी सहित बड़ी तादाद में सभी धर्म संप्रदाय के लोग शामिल थे। संचालन संजीव सिंह ने किया तो कुंवर सुरेश सिंह ने आभार जताया।