जिउतिया व्रत अनुष्ठान के साथ सोरहिया मेले का हुआ समापन-16 दिन तक चलता है यह सोरहिया मेला-महा लक्ष्मी की होती कठिन पूजा
जिउतिया का मेला
वाराणसी. बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से माताओं ने रविवार आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को रखा जिउतिया का खर उपवास। इस मौके पर पूरे दिन निराजल उपसवास रखने के पश्चात वो दोपहर बाद पहुंचीं लक्ष्मी कुंड जहां उन्होंने जिउतिया माता का पूजन किया साथ ही जीमुत वाहन वर्त कथा का श्रवण किया। इस मौके पर कुंड पर श्रद्धालु महिलाओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। हालांकि प्रशासन की ओर से सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे, बावजूद इसके श्रद्धालु महिलाओं के साथ मारपीट की घटना हुई। घायल महिलाओं को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
बता दें कि इस लक्ष्मीकुंड पर आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को एक साथ दो-दो पर्व मनाए जाते हैं। एक तो जिउतिया का निराजल व्रत करने वाली महिलाएं आती हैं जो कुंड किनारे बैठ कर जिउतिया माता की आराधना करती हैं। जीमुत वाहन की कथा सुनती हैं। साथ ही इस कुंड से सटे महालक्ष्मी मंदिर में स्थित जिउतिया माता के दर्शन भी करती हैं।
ये भी पढें-Jiutia vrat-2019: बच्चों की लंबी आयु के लिए काशी के गंदे सरोवरों में पूजन को विवश श्रद्धालु माताएं साथ ही आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को ही सोरहिया मेले का समापन भी होता है। सोरहिया माता का मंदिर भी महा लक्ष्मी मंदिर में स्थित है। इस मंदिर में आज से 15 दिन पहले ही सोरहिया माता और मां महा लक्ष्मी के पूजन के साथ 16 गांठों वाले धागे को पहन कर व्रती जन सोलह दिन तक मां महा लक्ष्मी का कठिन अनुष्ठान करते हैं। आज उसके भी समापन का दिन होता है।
ऐसे में लक्ष्मीकुंड पर महिलाओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। इस सैलाब का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि कुंड से करीब लगभग दो-दो किलोमीटर तक सड़क पर बैठ कर महिलाएं पूजा वेदी बना कर पूजा करती हैं। इसके लिए लक्सा तिराहे से गिरिजाघर और रथयात्रा तक का मार्ग बंद कर देना पड़ता है। आवागमन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहता है। यह पूजन-अर्चन का क्रम शाम तीन बजे से सात बजे तक चलता है।