scriptन वाराणसी न प्रयागराज, बंद हुई देश की इकलौती कछुआ सेंचुरी, केंद्र ने किया डिनोटिफाई | Kachchua Sanctury closed and denotified by central government | Patrika News

न वाराणसी न प्रयागराज, बंद हुई देश की इकलौती कछुआ सेंचुरी, केंद्र ने किया डिनोटिफाई

locationवाराणसीPublished: Jul 30, 2021 06:52:50 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

Kachchua Sanctury closed and denotified by central government- देश की इकलौती कछुआ सेंचुरी कहां है, इस बात को लेकर असंजस की स्थिति बनी रही है। कछुआ सेंचुरी मार्च 2020 तक वाराणसी में गंगा नदी के सात किलोमीटर के इलाके में स्थित थी। बाद में इसे डिनोटिफाई कर दिया गया।

Kachchua Sanctury closed and denotified by central government

Kachchua Sanctury closed and denotified by central government

वाराणसी. Kachchua Sanctury closed and denotified by central government- देश की इकलौती कछुआ सेंचुरी कहां है, इस बात को लेकर असंजस की स्थिति बनी रही है। कछुआ सेंचुरी मार्च 2020 तक वाराणसी में गंगा नदी के सात किलोमीटर के इलाके में स्थित थी। बाद में इसे डिनोटिफाई कर दिया गया। इसका मतलब गंगा एक्शन प्लान के तहत 1989 में चिन्‍हित (नोटिफाई) की गई सेंचुरी का अब वाराणसी में कोई वजूद नहीं है। कछुआ सेंचुरी को वाराणसी से डिनोटिफाई करने के बाद प्रयागराज जिले को कोठरी गांव में शिफ्ट कर दिया गया। हालांकि, जानकारों का मानना है कि यहां कछुआ सेंचुरी के नाम पर कुछ नहीं है।
वाराणसी से क्यों हटी कछुआ सेंचुरी

भारत में कछुओं की 28 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन चिंता का विषय है कि इसमें से 40 प्रतिशत कछुओं को लुप्‍तप्राय की श्रेणी में रखा गया है। इस स्‍थि‍ति में कछुओं का संरक्षण और भी जरूरी हो जाता है। वाराणसी से कछुआ सेंचुरी को हटाने के पीछे एक तर्क यह भी दिया जाता है कि इस क्षेत्र में कछुए बचे ही नहीं थे। वाराणसी के कछुआ सेंचुरी में पाए जाने वाले कछुओं की 13 प्रजातियों में से केवल पांच प्रजातियां मिली हैं। इसलि कछुआ सेंचुरी को यहां से ड‍िनोट‍िफाई किया गया। इसके अलावा एक अन्य वजह यह निकलकर सामने आई है कि घाट पर बालू बढ़ रहे थे और नदी के बहाव पर उसका असर हो रहा था। इसलिए इसे यहां से डिनोटिफाई कर दिया गया।
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