कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर गंगा स्नान करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान के पश्चात यथा संभव दीन-दुखियों और योग्य ब्राह्मण देवता को दान करने का भी विधान है। इस दिन किए गए दान पुण्य का लाभ जीवन के हर क्षेत्र में मिलता है। घर-परिवार में धन-धान्य की कमी नहीं होती। यश-कीर्ति में भी बढोत्तरी होती है।
ये भी पढें-Dev Deepawali in Kashi-जानें शिव की नगरी में कब से हुई देव दीपावली मनाने की शुरूआत, क्या है महात्म्य कहा तो यहां तक गया है कि अगर गंगा स्नन करना संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नानादि के बाद घर के मंदिर में सबसे पहले प्रथमेश श्री गणेश और फिर भोले नाथ उसके पश्चात भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करनी चाहिए। शाम के समय भगवान शिव को फूल, घी, नैवेद्य और बेलपत्र अर्पित करें। इसके बाद इन मंत्रों का जाप करें…
‘ऊं नम: शिवाय’, ‘ॐ हौं जूं सः, ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योवर्मुक्षीय मामृतात्, ॐ स्वः भुवः भूः, ॐ सः जूं हौं ॐ।। इसके साथ ही अब भगवान विष्णु को पीले फूल, नैवेद्य, पीले वस्त्र और पीली मिठाई अर्पित करें। उसके बाद इन मंत्रों का जाप करें-
ऊं नमो नारायण नम: नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे। सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युगधारिणे नम: ।।
भगवान शिव और विष्णु को धूप-दीप दिखाकर आरती उतारें। इसके बाद तुलसी जी के पास दीपक जलाएं। इन सबके बाद गंगा घाट जाकर दीपक जलाएं।
मान्यता है कि ऐसा करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर गंगा घाट जाना संभव न हो तो घर के अंदर और बाहर दीपक जरूर जलाएं।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त -तिथि- 12 नवंबर 2019
-कार्तिक पूर्णिमा प्रदोष काल शुभ मुहूर्त – शाम 5 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक
-पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-11 नवंबर 2019 को शाम 6 बजकर 2 मिनट से
-पूर्णिमा तिथि समाप्त –12 नवंबर 2019 शाम 7 बजकर 4 मिनट तक