ज्योतिषियों की राय में इस बार करवाचौथ पर महायोग बन रहा है वह भी एक नहीं तीन-तीन। इसमें अमृत सिद्धि, स्वार्थ सिद्धि और उच्च चंद्रमा योग शामिल है। ऐसा 27 साल बाद हो रहा है। इससे पहले 1991 में ऐसा योग बना था। फिर ऐसा योग 16 साल बाद बनेगा। ऐसे में ज्योतिषाचार्यों की सलाह है कि इस महायोग का लाभ जरूर उठाएं।
करवाचौथ पर पूरे देश में एक साथ 08.15 बजे तक चंद्र दर्शन हो सकेगा। इस बार एक और विशेष बात है कि व्रती महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ ही प्रथमेश श्री गणेश व चतुर्थी माता को भी अर्घ्य दे पाएंगी। ऐसा हमेशा नहीं होता। कारण कि इस बार करवाचौथ के साथ संकष्ठी चतुर्थी भी है।। ऐसे में भगवान श्री गणेश और संकष्ठी माता को अर्घ्य देने से आम करवाचौथ से कहीं ज्यादा पुण्यदायी है।
ज्पूयोतिषाचार्य पंडित बृजभूषण दुबे के मुताबिक पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.40 बजे से 06.47 बजे तक है। चतुर्थी तिथि भी 06.38 बजे लग जा रही है जो अगले दिन यानी 28 अक्टूबर को शाम 04.55 बजे तक रहेगी। ज्योतिषियों के अनुसार अमृत सिद्धि, स्वार्थ सिद्धि और उच्च राशि के चंद्रमा के कारण यह करवाचौथ विशेष रूप से मंगलकारी है।
सबसे दुर्लभ संयोग ये है कि इस बार जहां धरती पर सुहागिनें पति के लिए यह कठोर व्रत रखेंगी वहीं आकाश मंडल में चंद्रमा का भी उनकी पत्नी से मिलन होगा। शनिवार 27 अक्टूबर को सुबह 8.19 बजे से ही रोहिणी नक्षत्र भी लग जा रहा है। बता दें कि रोहिणी, चंद्रमा की पत्नी है। ऐसे में चंद्रमा और रोहिणी के मिलन का यह सौभाग्य भी मिल रहा है सुहागिनों को। पति-पत्नी के मिलन की इस पुण्य बेला में यह मिलन, सौभाग्य व आरोग्य की दृष्टि से श्रेयष्कर व अति मंगलकारी है।
ऐसे करें पूजन और उसकी तैयारी…
-दीवर पर गुरू के फलक बना कर पिसे चावल के घोल से करवा बनाएं
-पीली मिट्टी से गौरी बनाएं, उनकी गोद में श्री गणेश बनाकर बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठा कर उनका श्रृंगार करें। लोटे में जल भर लें
-बायना भेंट देने के लिए करवा लें। करवे में गेंहूं और उसके ढक्कन में बूरा भरें, साथ ही कुछ दक्षिणा रखना न भूलें।
-रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं, फिर गौरी गणेश की पूजा कर पति की दीर्घायु की कामना करें
-करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने अंजुरि में रख कर करवाचौथ की कथा सुनें
-13 दानें गेंहूं और करवा अलग-अलग रख दें। फिर चंद्रमा को चलनी की ओट से देखें और अर्घ्य दें।
-दीवर पर गुरू के फलक बना कर पिसे चावल के घोल से करवा बनाएं
-पीली मिट्टी से गौरी बनाएं, उनकी गोद में श्री गणेश बनाकर बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठा कर उनका श्रृंगार करें। लोटे में जल भर लें
-बायना भेंट देने के लिए करवा लें। करवे में गेंहूं और उसके ढक्कन में बूरा भरें, साथ ही कुछ दक्षिणा रखना न भूलें।
-रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं, फिर गौरी गणेश की पूजा कर पति की दीर्घायु की कामना करें
-करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने अंजुरि में रख कर करवाचौथ की कथा सुनें
-13 दानें गेंहूं और करवा अलग-अलग रख दें। फिर चंद्रमा को चलनी की ओट से देखें और अर्घ्य दें।