scriptकरवा चौथ 2018: पति की लम्बी उम्र के लिए इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, पूजन के लिए जरूरी है ये सामग्री | Karwa chauth 2018 Kab Hai Subh Muhurt Date Time Puja vidhi material | Patrika News

करवा चौथ 2018: पति की लम्बी उम्र के लिए इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, पूजन के लिए जरूरी है ये सामग्री

locationवाराणसीPublished: Sep 22, 2018 10:16:20 am

Submitted by:

sarveshwari Mishra

हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है।

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Karwa Chauth

वाराणसी. तीज की तरह करवा चौथ भी स्त्रियों का बहुत ही पसंदीदा त्योहार है। इसमें पत्नी अपने पति के लिए निराजल व्रत रहती है। सुहागिनों का त्‍योहार करवा चौथ इस बार 28 अक्‍टूबर को है। कृष्ण चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। कई संप्रदायों में कुवांरी कन्याएं भी अच्छे पति की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- 17:36 से 18:54
चंद्रोदय- 20:00
चतुर्थी तिथि आरंभ- 18:37 (27 अक्तूबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 16:54 (28 अक्तूबर)

ऐसे करे पूजा की तैयारी
व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें। इस व्रत को पूरे दिन निर्जला करें। आठ पूरियों की अठावरी और हलुवा बनाएं। पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। गौरी को चुनरी ओढ़ाएं। बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें। फिर जल से भरा हुआ लोटा रखें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बुरादा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। फिर रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश की परंपरानुसार पूजा करें और पति की दीर्घायु की कामना करें। करवा पर तेरह बिंदी रखें और गेहूं या चावल के तेरह दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासू जी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्ध्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। सास अपनी बहू को सरगी भेजती है. सरगी में मिठाई, फल, सेवइयां आदि होती है. इसका सेवन महिलाएं करवाचौथ के दिन सूर्य निकलने से पहले करती हैं। अन्य व्रतों के समान करवा चौथ का भी उजमन किया जाता है। करवा चौथ के उजमन में एक थाल में तेरह जगह चार-चार पूड़ियां रखकर उनके ऊपर सूजी का हलुवा रखा जाता है। इसके ऊपर साड़ी-ब्लाउज और रुपये रखे जाते हैं। हाथ में रोली, चावल लेकर थाल में चारों ओर हाथ घुमाने के बाद यह बायना सास को दिया जाता है। तेरह सुहागिन स्त्रियों को भोजन कराने के बाद उनके माथे पर बिंदी लगाकर और सुहाग की वस्तुएं देकर विदा कर दिया जाता है।
करवा चौथ पूजन के लिए ये सामग्री जरूरी
करवा चौथ व्रत में इन सामग्रियों का विशेष महत्व है। बिना इसके करवा चौथ की पूजा नहीं होती तो ध्यान रहे इसमें से कोई भी सामग्री छुटने न पाए।

चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, कुंकू, अक्षत (चावल)13. सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर,गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा (दान) के लिए पैसे, इ‍त्यादि।
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