scriptआजादी के अमृत महोत्सव में रंगी काशी, पहली बार भक्तों को दर्शन देते मंदिर पर पहुंचे बाबा विश्वनाथ | Kashi colored in Independence Amrit Festival first time Shri Kashi Vishwanath reached temple in an open palanquin | Patrika News

आजादी के अमृत महोत्सव में रंगी काशी, पहली बार भक्तों को दर्शन देते मंदिर पर पहुंचे बाबा विश्वनाथ

locationवाराणसीPublished: Aug 12, 2022 10:18:57 am

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

स्वातंत्र्य आंदोलन में काशी का अमिट योगदान रहा है। नमक सत्याग्रह हो डांडी मार्च सबका साक्षी रही काशी। जिस काशी में अंग्रेजों भारत छोड़ो का शंखनाद पहली बार हुआ वो काशी आजादी के अमृत महोत्सव के रंग में रंग चुकी है। बता दें कि इसी काशी में जब बाबा विश्वनाथ की गौना बारात निकलती है तो बाबा विश्वनाथ खादी के वस्त्र धारण कर निकलते हैं। अबकी बार श्रावण पूर्णिमा पर पहली बार तिरंगे के रंग में रंगे बाबा भक्तों को दर्शन देते हुए मंदिर तक पहुंचे। फिर गर्भगृह में सजे झूले पर सपरिवार बाबा ने दिया दिव्य दर्शन।

श्रावणी पर विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह में झूले पर सवार श्री काशी पुराधिपति

श्रावणी पर विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह में झूले पर सवार श्री काशी पुराधिपति

वाराणसी. रंगभरी एकादशी के अलावा पहली बार ऐसा देखा गया जब महंत आवास से निकली श्री काशी विश्वनाथ की पालकी यात्रा के दौरान बाबा विश्वनाथ भक्तों को दर्शन देते हुए विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचे वो भी तिरंगे की शान के साथ। बता दें कि अब तक रंगभरी एकादशी को ही ये मौका मिलता था काशीवासियों को जब बाबा की सपरिवार पालकी यात्रा निकलती रही। लेकिन आजादी के 75 वें साल में जब समूचा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो बाबा विश्वनाथ भी तिरंग के रंग में रंग गए। महंत डॉ कुलपति तिवारी के आवास पर तिरंगे के रंग में बाबा का भव्य शृंगार हुआ फिर निकली पालकी यात्रा।
बाबा की पालकी यात्रा भी तिरंगामय

श्रावण पूर्णिमा पर टेढी नीम स्थित महंत आवास से काशी विश्वनाथ मंदिर तक पालकी यात्रा निकाली गई। गुरुवार शाम टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से बाबा के रजत विग्रह को तामझाम पर विराजमान कराया गया। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में बाबा की पालकी को भी तिरंगामय कर दिया गया था।
पहली बार श्रावणी पर खुली पालकी में निकली बाबा विश्वनाथ की सवारी
बाबा की पालकी यात्रा में दंड व मशाल का भी प्रदर्शन

हर हर महादेव के जयघोष के साथ महंत आवास से पालकी मंदिर की ओर बढ़ी तो सबसे आगे संजीव रत्न मिश्र बाबा का दंड लेकर चले। उनके साथ पं. वाचस्पति तिवारी रजत मशाल लेकर चलते रहे। विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में यह पहला मौका था जब तामझाम पर सवार बाबा महंत आवास से मंदिर तक भक्तों को दर्शन देते हुए गए। ऐसा सिर्फ आजादी के अमृत महोत्सव के विशिष्ट आयोजन को देखते हुए किया गया।
श्रावणी पर विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह में झूले पर सवार श्री काशी पुराधिपति
परंपरानुसार हर वर्ष बाबा के रजत विग्रह को तामझाम पर बिठाने के बाद उन्हें श्वेत वस्त्र से ढंका जाता था

परंपरानुसार प्रतिवर्ष बाबा के रजत विग्रह को तामझाम पर बैठाने के बाद उन्हें श्वेत वस्त्र से ढंक कर ले जाता जाता था। बाबा गर्भगृह में सपरिवार विराजमान होने के बाद भी भक्तों को दर्शन देते थे। अगले वर्ष से पुन: बाबा का विग्रह परंपरानुसार श्वेत वस्त्र से ढंक कर ले जाया जाएगा। मंदिर पहुंचने के बाद परंपरा के अनुसार सप्तऋषि आरती के बाद बाबा विश्वनाथ को सपरिवार झूला सहित गर्भगृह में विराजमान कराया गया।
महंत कुलपति तिवारी ने दीक्षित मंत्र से बाबा का पूजन किया

विश्वनाथ मंदिर में प्रतिमा के पहुंचने पर महंत डा. कुलपति तिवारी ने दीक्षित मंत्र से बाबा का पूजन किया। बाबा के तामझाम की साज सज्जा विश्वनाथ मंदिर के रोहित माली ने की। प्राचीन परंपरा के अनुसार रज विग्रह को गर्भगृह के ऊपर बनाए गए झूले पर विराजमान कराया गया। बाबा विश्वनाथ ने झूले पर सपरिवार विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। विश्वनाथ, माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की रजत प्रतिमाएं शाही झूले पर महंत आवास से मंदिर प्रांगण में लाई गईं। वहां विग्रहों का पूजन हुआ। शिव का सरिवार दर्शन पाकर भाक्तगण निहाल होते रहे। मंदिर का पट बंद होने के समय रजत प्रतिमाओं को पुन: महंत आवास ले जाया गया।
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