काशी की बेटी जो पैरों से लाचार तो है, पर कभी हिम्मत नहीं हारी। हर मुश्किल को आसान करना उसकी फितरत में शामिल है। फिर आखिर क्यों न हो इस बेटी पर काशी को नाज। काशी की इस बिटिया ने शुक्रवार को चेन्नई में आयोजित प्री नेशनल शूटिंग में कांस्य पदक हासिल करते हुए नेशनल चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर लिया।
बीएचयू की छात्रा सुमेधा पाठक उस प्रतिभा का नाम है जिसका लोह उसे हर जानने वाला मानता है। उसने हारना तो सीखा ही नहीं है। पढाई से लेकर खेल और कल्चरल इवेंट तक में उसे महारत हासिल है। मंच छोटा हो या बड़ा उसके लिए कोई मायने नहीं रखता, उसे तो बस अपने किरदार से मतलब होता है। इसी का नतीजा है कि इस बिटिया को हर बनारसी का प्यार हासिल है। उस प्यारी बिटिया ने हाथों में पिस्टल थामते हुए ह्वील चेयर पर बैठे-बैठे ही 28वीं जीवी ममावलंकर शूटिंग प्रतियोगिता का कांस्य पदक अपने नाम कर लिया।
दो साल पहले ही 2016 में अपनी बहादुरी के लिए रानी लक्ष्मी बाई वीरता सम्मान से नवाजी गई काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की दिव्यांग छात्रा सुमेधा पाठक ने एक बार फिर काशी का सिर फक्र से ऊंचा किया है। सुमेधा ने देश की प्रतिष्ठित प्रतियोगिता की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक पर निशाना साधा और अपना स्थान नेशनल इवेंट के लिए पक्का कर लिया।
सफलता हासिल करने के बाद सुमेधा ने फोन पर काशीवासियों के प्रति आभार जताया। खास तौर पर अपने पिता बृजेश पाठक को यह उपलब्द्धि समर्पित की। पिता पाठक ने पत्रिका को बताया कि यह बिटिया का आत्मबल ही है जिसकी बदौलत उसने य उपब्द्धि हासिल की। शेष काशीवासियों का स्नेह और प्यार। उन्होंने बताया कि सुमेधा अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए नियमित तौर पर चार घंटे रियाज करती थी, कभी-कभी तो रियाज की अवधि लंबी भी हो जाती थी, यह उसकी लगन ही है कि उसने कांस्य पदक हासिल किया।
समाजसेवी पिता ने कहा कि अब उसका सपना नेशनल इवेंट में सोने के तमगा हासिल करना है। अब उसकी नजर दिल्ली में नवंबर में होने वाले नेशनल चैंपियनशिप पर है जिसका टिकट उसे आज 07 सितंबर को हासिल हुआ।