वाराणसी. बचपन से ही सुनने को मिल जाता कि पूर्वांचल राज्य का गठन हुआ तो काशी राजधानी बनेगी। पूर्वांचल राज्य के गठन का तो नहीं पता लेकिन काशी पूर्वांचल में अपराध की राजधानी जरूर बन गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को यदि अपराध की राजधानी कहा जाए तो सपा सुप्रीमो का गढ़ आजमगढ़ उप राजधानी बनने की कतार में खड़ा है। पुलिस विभाग के आंकड़ों पर विश्वास करें तो वाराणसी में पिछले तीन सालों में अपराध की बाढ़ सी आ गई है। वर्ष 2014 में वाराणसी के थानों में 2008 मामले दर्ज हुए थे जबकि वर्तमान साल में महज सात माह के ाीतर ही 2943 मामले पुलिस स्टेशन की फाइलों में दर्ज हुए हैं। साल दर साल यहां अपराध का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। डकैती की दो वारदात अब तक हो चुकी है। सात में हत्याओं का आंकड़ा भी चालीस की सं या पार कर चुका है। वाराणसी में अब तक बलवा की 46 घटनाएं हो चुकी है। बनारस में अपहरण का धंधा एक बार फिर जोर पकडऩे लगा है। इस साल अब तक डेढ़ सौ से अधिक अपहरण की घटनाएं हो चुकी है। दुराचारियों के लिए तो वाराणसी जैसे राजधानी बन गई है। पूर्वांचल में दुराचार की सर्वाधिक 48 घटनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही हुई है। हत्या, लूट, डकैती, बलवा, चोरी, अपहरण, दहेज हत्या और दुराचार के मामले में पुलिस विभाग के आंकड़ें तो वाकई गवाही दे रहे हैं कि पूर्वांचल में सबसे अधिक कहीं अपराध पनप रहा है तो वह है अपना शहर बनारस। कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर पुलिस प्रशासन फेल हो चुका है। पुलिस विभाग के तमाम अफसर सिर्फ जमीन से जुड़े विवाद निबटाने और उसके पीछे कटने वाली मलाई की ताक में ही बैठे रह रहे हैं। कभी आतंक की नर्सरी आजमगढ़ को कहा जाता था। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ को यदि अपराध के मामले में पूर्वांचल की उप राजधानी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। आजमगढ़ में लूट-डकैती की सर्वाधिक 80 वारदातें सात माह के भीतर हो चुकी है। जनवरी से जुलाई के बीच 43 लोग आजमगढ़ में मौत के घाट उतारे जा चुके हैं। 31 महिलाओं की अस्मत लुट चुकी है। मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में जेल से अपराधी सीधे फोन करके धमकी देते हैं। मतलब साफ है कि आजमगढ़ में कानून-व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। पूर्वांचल के दो महत्वपूर्ण जिला वाराणसी और आजमगढ़ के अलावा यदि वाराणसी, आजमगढ़ और विंध्याचल मंडल के दस जिलों के अपराध का आंकड़ा भी काफी दिलचस्प है। आप खुद पढि़ए और तय करिए कि आखिर क्यों पूर्वांचल जो जिसे शिक्षा, रोजगार और राजनीतिज्ञों का गढ़ कहा जाता था वह आज अपराध के दलदल में फंसा है। पूर्वांचल के दस जिला वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, मीरजापुर, सोनभद्र व भदोही में बीते दो साल और वर्तमान वर्ष के शुरूआती सात माह में डकैती की 34, लूट 514, हत्या 678, फिरौती के लिए अपहरण 8 व अन्य अपहरण 1905 हुए। पूर्वांचल के इन दस जिलों में 31 माह के भीतर 548 लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ है। दहेज की वेदी पर 464 लड़कियां बलि चढ़ा दी गई।