दरअसल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से जुड़े राष्ट्रों में पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में काशी को नामित करने, स्थापित करने की औपचारिक तैयारी के तौर पर डोजियर तैयार कर लिया गया है। इस डोजियर में दुनिया की एक मात्र जीवंत नगरी काशी के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के साथ यहां मनाए जाने वाले पर्वों का भी उल्लेख किया गया है। पर्व की बात करें तो इस काशी के लिए पहले से ही प्रचलित है “सात वार नौ त्योहार” ऐेसे में भला ये कैसे छूट सकता था। लिहाजा इन सबको समेटते हुए प्रशासन ने डोजियर तैयार कर यूपी शासन को भेज दिया है। अब यूपी शासन की ओर से इस विदेश मंत्रालाय को भेजे जाने की तैयारी है।
इस डोजियर में काशी के प्रमुख पर्यटन स्थलों को समाहित किया गया है। इतना ही नहीं, यहां के परंपरागत उद्योगों, जिसमें लघु एवं कुटीर उद्योग भी शामिल किए गए हैं। दरअसल ये सब केंद्र सरकार की पहल पर हो रहा है। यहां ये भी बता दें कि काशी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है और प्रधानमंत्री लगातार अपने संसदीय क्षेत्र को वैश्विक मानचित्र पर नई पहचान देने में जुटे रहते हैं जिसका ताजा उदाहरण श्री काशी विश्वनाथ धाम है। ऐसे में काशी को पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर घोषित रूप से स्थापित करने की मंजूरी मिलते ही काशी, शंघाई सहयोग संगठन की पहली सांस्कृतिक राजधानी बन जाएगी।
बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन में कुल आठ देश शामिल हैं जिसकी अध्यक्षता भारत कर रहा है। इसमें एशिया के रूस, चीन, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उजबेकिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं। इन सभी देशों के मध्य सद्भाव व विश्वास की मजबूती, राजनैतिक संबंध, प्रौद्योगिकी, व्यवसाय और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना इस संगठन का मूल मकसद है। इन सभी देशों के बीच पर्यटन को ज्यादा से ज्यादा विकसित करने पर भी सदस्य देशों का प्रमुख उद्देश्य है। ऐेसे में अगर काशी को सांस्कृतिक राजधानी का दर्जा मिलता है जो पहले से ही अघोषित तौर पर मान्य है तो काशी के पर्यटन उद्योग को काफी लाभ होगा।
इस संबंध में वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल कहते हैं कि शंघाई सहयोग संगठन का पर्यटन व सांस्कृतिक राजधानी बनाने के लिए डोजियर यूपी शासन को भेजा दिया गया है। ये डोजियर एससीओ के लिए आधिकारिक रूप से काशी का पहला परिचय है।