पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को १० प्रतिशत का आरक्षण दिया था। लोकसभा चुनाव 2019 में नयी सरकार का गठन हो जाने के बाद इस निर्देश का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। शासन ने सभी विश्वविद्यालय व कॉलेजों में गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत सीट बढ़ाने का शासनादेश जारी किया है जिसके अनुपालन में ही महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन ने प्रवेश समिति की बैठक बुला कर इस निर्णय को पारित कराया है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध पांच जिलों में कुल 350 कॉलेज है। विश्वविद्यालय का यह आदेश शासकीय, शासकीय सहायता प्राप्त व स्ववित्तपोषित कॉलेजों के स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों पर लागू होगा। प्रवेश से पहले ही गरीब सवर्णों को बड़ी राहत मिल गयी है आर्थिक आधार से गरीब सवर्णों के कमजोर तबके के छात्रों को अब प्रवेश के लिए पेरशान नहीं होना पड़ेगा।
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सभी पाठ्यक्रमों में नहीं मिल पायेगा लाभ
गरीब सवर्णों को सभी पाठ्यक्रम में लाभ नहीं मिल पायेगा। इसके पीछे तकनीकी कारण है। बीएड, बीपीएड, एमपीएड, एलएलबी, एलएलएम आदि ऐसे कई पाठ्यक्रम हैं जहां पर विश्वविद्यालय प्रशासन अपने स्तर से सीट वृद्धि नहीं कर सकता है। कानून की पढ़ाई में सीट वृद्धि का अधिकार बार काउंसिल के पास है जबकि बीएड आदि पाठ्यक्रम में एनसीटीई से मान्यता लेनी होती है इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन अपने स्तर से इन पाठ्यक्रमों में सीट वृद्धि नहीं कर सकता है। जिन पाठ्यक्रमों में परिसर द्वार सीट वृद्धि करने का अधिकार है उन्ही पाठ्यक्रमों में गरीब सवर्णों को सीट वृद्धि का लाभ मिल पायेगा।
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गरीब सवर्णों को सभी पाठ्यक्रम में लाभ नहीं मिल पायेगा। इसके पीछे तकनीकी कारण है। बीएड, बीपीएड, एमपीएड, एलएलबी, एलएलएम आदि ऐसे कई पाठ्यक्रम हैं जहां पर विश्वविद्यालय प्रशासन अपने स्तर से सीट वृद्धि नहीं कर सकता है। कानून की पढ़ाई में सीट वृद्धि का अधिकार बार काउंसिल के पास है जबकि बीएड आदि पाठ्यक्रम में एनसीटीई से मान्यता लेनी होती है इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन अपने स्तर से इन पाठ्यक्रमों में सीट वृद्धि नहीं कर सकता है। जिन पाठ्यक्रमों में परिसर द्वार सीट वृद्धि करने का अधिकार है उन्ही पाठ्यक्रमों में गरीब सवर्णों को सीट वृद्धि का लाभ मिल पायेगा।
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