scriptज्ञानवापी मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को कोर्ट से झटका, पक्षकार बनने की याचिका ख़ारिज | Kashi Vishwanath Gyanvapi Masjid case avimukteshwaranand Plea Rejected | Patrika News

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को कोर्ट से झटका, पक्षकार बनने की याचिका ख़ारिज

locationवाराणसीPublished: Mar 09, 2021 03:02:43 pm

पुरातस्व सर्वेक्षण करने से जुड़े प्रार्थना पत्र पर 15 मार्च को होगी सुनवाई

Kashi Vishwanath Gyanvapi Masjid case

काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञाानवाापी मस्जिद केस

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

वाराणसी. काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद केस में बड़ा फैसला आया है। वाराणसी की अदालत ने इस द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने इस केस में उन्हें वादमित्र के रूप में पक्षकार बनान जाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहना था कि प्रकरण से जुड़ा साक्ष्य देेने के लिये पक्षकार बनना जरूरी नहीं। इसे वादमित्र के जरिये कोर्ट में दे सकते हैं। उधर मामले में पुरातस्व सर्वेक्षण करने से जुड़े प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिये कोर्ट ने 15 मार्च की तारीख तय कर दी है।


बताते चलें काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में वाराणसी की अदालत में सुनवाई चल रही है। इसी बीच स्वमी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में खुद को अतिरिक्त वादमित्र के रूप में नया पक्षकार बनाने की अर्जी दी गई थी। जिसपर ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर दोनाें ओर के पक्षकारों ने इसका विरोध किया।


काशी विश्वनाथ मंदिर के वादमित्र वकील विजय शंकर रस्तोगी का कहना था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का वादमित्र उन्हें बनाया गया है और किसी अन्य को वादमित्र बनने का अधिकार नहीं है। इसलिए उनकी ओर से वादमित्र बनने के प्रार्थना पर आपत्ति करते हुए कहा गया कि एक वादमित्र के रहते दूसरा कैसे हो सकता है ? उधर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से भी इसपर आपत्ति की गई।


बीते छह मार्च को हुई सुनवाई में स्वामी अविमुकतेश्वरानंद की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ और जीतनारायण सिंह ने अपनी दलील में अतिरिक्त वादमित्र बनाना न्यायोचित बताया। उनका कहना था कि उनके पास कई ऐसे साक्ष्य हैं जो प्रकरण के लिये अहम हैं।


उनकी अर्जी का विरोध करते हुए पक्षकारों की ओर से अर्जी को राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित बताया गया था। वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से कहा गया था कि वन बाई वन (अतिरिक्त) के तहत वादमित्र बनने के लिये दी जा रही दलील कहीं से न्यायसंगत नहीं। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से कहा गया था कि एक वादमित्र होते हुए 30 साल बाद अतिरिक्त वादमित्र नहीं बनाया जा सकता। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से अभय यादव व तौहीद खान ने भी अर्जी के विरोध करते हुए अपने तर्क दिये थे। कोर्ट ने इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है। साथ ही पुरातात्विक सर्वेक्षण मामले में सुनवाई के लिये कोर्ट ने 15 मार्च की तारीख नीयत की है।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x7y2q2a
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो