बता दें कि 15 जनवरी 2020 को ही विश्वनाथ मंदिर विस्तार और सौंदर्यीकरण का कार्य विधिवत पूजन-अर्चन के साथ शुरू हुआ था। कमिश्नर दीपक अग्रवाल की मानें तो विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए फाउंडेशन वर्क शुरू हो चुका है। काम तेजी से चल रहा है। अब तक 296 भवनों और भूखंड में से 267 संपत्तियां खरीदी जा चुकी थीं। इसके लिए नवंबर 2019 तक कुल 398.33 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी। वैसे मंदिर प्रशासन की योजना के मुताबिक कॉरिडोर के लिए अभी और 16 भवन व भूखंड खरीदे जाने हैं। कमिश्नर ने पत्रिका को बताया कि अब बजट में जिस 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है व निर्माण कार्य के लिए है।
इस तरह होगा काम पहले चरण में मंदिर परिसर और दूसरे चरण में गंगा घाट क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। तीसरे चरण का काम गंगा तट पर स्थित नेपाली मंदिर से लेकर ललिता घाट, जलासेन घाट और मणिकर्णिका घाट के आगे सिंधिया घाट तक का हिस्सा शामिल है। एक किलोमीटर लंबे इस क्षेत्र से श्रद्धालु स्नान करके आसानी से मंदिर तक दर्शन पूजन करने के लिए जा सकेंगे।
अलग-अलग पत्थरों मंदिर परिसर को भव्यता
डीपीआर के अनुसार मंदिर परिसर में मकराना मार्बल, ग्रेनाइट और चुनार के पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। इसमें अलग-अलग आवश्यकता के अनुसार अलग पत्थर उपयोग में लिए जाएंगे। इसके अलावा पूरे परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रसाधान, जलपान गृह, लाइब्रेरी, मल्टीपरपज हाल सहित अन्य केंद्र विकसित होंगे। काशी विश्वनाथ धाम के तीनों प्रवेश द्वार पर जन सुविधा केंद्र स्थापित होंगे।
डीपीआर के अनुसार मंदिर परिसर में मकराना मार्बल, ग्रेनाइट और चुनार के पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। इसमें अलग-अलग आवश्यकता के अनुसार अलग पत्थर उपयोग में लिए जाएंगे। इसके अलावा पूरे परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रसाधान, जलपान गृह, लाइब्रेरी, मल्टीपरपज हाल सहित अन्य केंद्र विकसित होंगे। काशी विश्वनाथ धाम के तीनों प्रवेश द्वार पर जन सुविधा केंद्र स्थापित होंगे।
गंगा घाट से मंदिर के बीच दो एस्केलेटर गंगा स्नान कर सीधे काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आने वाले बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था होगी। गंगा घाट से मंदिर के बीच दो एस्केलेटर होंगे। इनमें श्रद्धालु आसानी से चढ़ाई के बिना ही ऊपर आ जाएंगे। राजकीय निर्माण निगम की जगह लोक निर्माण विभाग को काशी विश्वनाथ धाम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पीडब्ल्यूडी की अलग इकाई इसमें काम करेगी। डीपीआर मंजूर होने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी।