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वाराणसी

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवादः मस्जिद के वजूखाना में मिला शिवलिंग न्यास परिषद को सौंपने की मांग

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवादः सिविल कोर्ट के आदेश पर हुई सर्वे की कार्यवाही के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में जो शिवलिंग की आकृति मिली है उसे विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद को सौपने की मांग की गई है। ये मांग और किसी ने नहीं बल्कि परिषद के अध्यक्ष ने की है। जानें क्या कहा परिषद अध्यक्ष ने….

वाराणसीMay 18, 2022 / 02:24 pm

Ajay Chaturvedi

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय

वाराणसी. काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद में अब एक नया मोड़ आया है। सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर स्थित आलमगीर मस्जिद के सर्वे के दौरान मिली शिवलिंग जैसी आकृति को विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद को सौंपने की मांग उठी है। बुधवार को ये मांग न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय ने की है।
फैसला आने तक शिवलिंग न्यास परिषद की सुपुर्दगी में दिया जाए

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर पर फैसला आने तक वजूखाने में मिला शिवलिंग काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की सुपुर्दगी में सौंप दिया जाए।
जहां शिवलिंग मिला वो वजूखाना कैसे?

बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग को लेकर वादी और प्रतिवादी पक्ष के बीच विवाद कायम है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और मुस्लिम पक्ष लगातार उस आकृति को फव्वारा बता रहा। जबकि वादी पक्ष और हिंदू जनमानस उसे शिवलिंग करार दे रहा है। इस बुधवार को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय ने कहा कि, बाबा विश्वेश्वर का शिवलिंग मिल गया तो वो स्थल ‘वजुखाना’ कैसे हो सकता है? अब ऐसा नहीं हो सकता। हम मांग करते हैं कि फैसला आने तक शिवलिंग काशी विश्वनाथ न्यास को सौंप दिया जाए।
शिवलिंग को लेकर वादी-प्रतिवादी के बीच तकरार जारी

बता दें कि सर्वे की कार्यवाही के अंतिम दिन वजूखाने में एक आकृति मिली थी जिसे वादी पक्ष शिवलिंग होने का दावा कर रहा है। वहीं प्रतिवादी पक्ष उसे फौवारा बता रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी तमाम तर्क-वितर्क जारी है। प्रतिवादी पक्ष का कहना है कि ऐसे फौवारे हिंदुस्तान के की मस्जिदों में हैं जिन्हें आसानी से देखा जा सकता है। लेकिन वादी पक्ष का तर्क है कि नंदी महाराज का मुख जिस तरफ है उसी ओर वो शिवलिंग मिला है लिहाजा वो शिवलिंग ही है।

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