हटाए गए कोर्ट कमिश्न तक नहीं जा सके अदालत में जानकारी के मुताबिक सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र तक को अदालत में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल सकी। इस संबंध में बताया जा रहा है कि सूची में उनका नाम नही रहा। लिहाजा उन्हें कोर्ट में नही जाने दिया गया। उधर इस प्रकरण को लेकर याचिका दर्ज करने वाली पांच महिलाओं में से चार महिलाएं ही कोर्ट में मौजूद रहीं। लेकिन सुनवाई के दौरान वकीलों के सहयोगियों को भी कोर्ट में एंट्री नहीं मिली।
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ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग की आकृति ही आदि विशेश्वर का शिवलिंग, पूजन का अधिकार मांगने कचहरी पहुंचे महंत कुलपति तिवारी इन मुद्दों पर हुई बहस वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन के अनुसार सोमवार को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के सेक्शन 3 और 4 पर बहस हुई। अब मंगलवार को उसी पर आगे की कार्यवाही होगी। जिला जज ने सभी पक्षों के आवेदन के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सिविल प्रक्रिया संहिता के ऑर्डर 7 रूल 11 (मेंटेनेबिलिटी यानी पोषणीयता) के तहत दाखिल प्रार्थना पत्र के बारे में भी सुनवाई हुई। ज्ञानवापी में कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट के बारे में भी जानकारी ली गई।
प्रतिवादी पक्ष ने जोरदार ढंग से की बहस
कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने लगातार विरोध किया और अपना पक्ष रखते हुए कड़ी बहस की। बहस और सभी पक्षों के आवेदन के बारे में जानकारी लेने के साथ ही जज ने प्रतिवादी पक्ष के ऑर्डर 7, रूल 11 (मेंटनेबिलिटी) आवेदन के बारे में भी सुना।
आज इन मुद्दों पर होनी थी सुनवाई -ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर केस
-कोर्ट कमिश्नर की जो सर्वे रिपोर्ट
-ज्ञानवापी मामले में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991 लागू होता है या नहीं, अर्थात यहां, पूजा का अधिकार दिया जा सकता है या नहीं
-डीजीसी सिविल के प्रार्थना पत्र और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्ति
विश्वनाथ मंदिर के महंत ने भी दाखिल की याचिका
काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग की आकृति के पूजन, स्नान, भोग-राग, शृंगार और पूजापाठ का अधिकार मांगने संबंधी प्रार्थना पत्र पेश किया।