वादी पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने मीडिया को बताया कि कोर्ट में प्रतिवादी पक्ष का तर्क पूरी तरह से निर्थक है। कमीशन चल रहा उसे बाधित कैसे किया जा सकता है। प्रतिवादी उसी पर अड़े हैं। कहा कि कोर्ट कमीशन की कार्यवाही जारी है। सवा दिन सर्वे हो चुका है। केवल बाहरी दीवारों का सर्व हो सका है, अभी तक रिपोर्ट नहीं आई, ऐसे में कोर्ट कमिश्नर को बदलने की बात सही नहीं। कोर्ट कमिश्नर अपनी रिपोर्ट पेश कर देते उसके बाद ये मसला उठता तो कोई बात भी होती। उन्होंने कहा कि रेड जोन के जिम्मेदार अधिकारी मस्जिद के भीतर का सर्वे कराएं।
प्रतिवादी पक्ष के वकील का कहना रहा कि बुधवार को 61 ग पर सुनवाई हुई। सभी पक्ष की दलीलें पूरी हो गई हैं, वादी के सभी प्रार्थना पत्र का जवाब दाखिल कर दिया गया। अब फाइल के साथ देखने के बाद कल फैसला आएगा। कोर्ट कमिश्नर को बदलने के मुद्दे पर मंगवार को ही सुनवाई हो गई थी उस पर आज कोई सुनवाई नहीं हुई।
अदालत में डीजीसी सिविल के उस आवेदन का भी जिक्र किया गया जिसमें एसीपी सुरक्षा के हवाले से कहा गया कि मस्जिद परिसर में जाने से सुरक्षा का खतरा है और ज्ञानवापी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति मानी गई है और शृंगार गौरी बैरिकेटिंग के बाहर होने की बात कही गई है ऐसे में ज्ञानवापी के अंदर वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति होने के कारण सर्वे कराने व ताला तोड़ने का आदेश नही दिया जा सकता। यह भी कहा गया कि कोर्ट ने बैरिकेटिंग व मस्जिद में प्रवेश कर कमीशन की कार्यवाही वीडियोग्राफी करने के लिए आदेशित नही किया गया है। इस आरोप का खंडन किया कि मस्जिद में पहले से ही लोग छिपे थे हर धर्म मे आस्था रखने वाले अन्य समय भी धार्मिक स्थल परिसर में रहते है। डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने कहा सरकार व जिला प्रशाशन अदालत के आदेश का अनुपालन कराने को तैयार हैं। दो घंटे की कमीशन कार्यवाही के बाद सर्वे कमिश्नर बदलने का विरोध किया।
वादी पक्ष की तरफ से सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, शिवम गौड़, अनुपम द्विवेदी, मदनमोहन ने अंजुमन इंतजामिया की आपत्ति का जोरदार विरोध किया। कहा कि यह कमीशन की कार्यवाही रोकने का प्रयास है पहले कमीशन की रिपोर्ट कोर्ट में आये फिर उस पर आपत्ति की जा सकती है या दूसरे सर्वे कमीशन की मांग की जा सकती है। कोर्ट की कार्यवाही के दौरान नियुक्त सर्वे कमिश्नर अजय मिश्र,वादिनीगण, जितेंद्र सिंह विशेन के अलावा सुरक्षाकर्मी डटे रहे,विशेष यह रहा कि अदालत ने सुनवाई के दौरान विधिक पत्रकारों धीरेंद्र नाथ शर्मा,मेराज फारूकी जुग्गन, घनश्याम मिश्र,अमरेंद्र तिवारी,वीरेंद्र सिंह और मनोज तिवारी को कोर्ट की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी थी।
सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल प्रति आपत्ति में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से कहा गया कि सर्वे के जरिए साक्ष्य सबूत एकत्र नहीं किया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी ओर से पांच अधिवक्ता हैं, जबकि सर्वे में दो ही अधिवक्ताओं को प्रवेश की अनुमति दी गई, जबकि वादी पक्ष के 12 वकील अंदर मौजूद थे।
इस बीच डीजीसी सिविल महेंद्र पांडेय ने अपने जवाब में कहा कि प्रशासन कमीशन की कार्यवाही का प्रबल सहयोग कर रहा है। न्यायालय के आदेश को अमल कराने के लिए जिला प्रशासन तैयार है। अदालती कार्यवाही के दौरान पक्षकार इस बात से सहमत दिखे कि अगर अदालत चाहे तो खुद अपनी देखरेख में कमीशन की कार्यवाही संपादित कराए। अदालत ने लगभग दो घंटे तक चली बहस को सुनने के बाद मंगलवार को फिर सुनवाई की तिथि नियत कर दी।