सूतक व ग्रहण काल का समय
शुक्रवार 27 जुलाई 2018 को लगने वाला खग्रास चंद्र ग्रहण का प्रारंभ भारतीय समयानुसार रात 11.54 बजे होगा। रात्रि 1.52 बजे मध्य काल तथा भोर में 3.49 बजे मोक्ष होगा। ग्रहण का स्पर्श, मध्य और मोक्ष पूरे भारत में दृश्य होगा। संपूर्ण ग्रहण अवधि 3 घण्टा 55 मिनट है। चंद्र ग्रहण में ग्रहण काल से से 9 घंटे पूर्व सूतक लग जाता है, ऐसे में दिन में 2.54 बजे से ग्रहण समाप्ति तक सूतक रहेगा। ऐसे में गुरु पूर्णिमा उत्सव एवं गुरु पूजन आदि कर्म सूतक काल (2.54 बजे) से पूर्व ही संपन्न करना होगा।
शुक्रवार 27 जुलाई 2018 को लगने वाला खग्रास चंद्र ग्रहण का प्रारंभ भारतीय समयानुसार रात 11.54 बजे होगा। रात्रि 1.52 बजे मध्य काल तथा भोर में 3.49 बजे मोक्ष होगा। ग्रहण का स्पर्श, मध्य और मोक्ष पूरे भारत में दृश्य होगा। संपूर्ण ग्रहण अवधि 3 घण्टा 55 मिनट है। चंद्र ग्रहण में ग्रहण काल से से 9 घंटे पूर्व सूतक लग जाता है, ऐसे में दिन में 2.54 बजे से ग्रहण समाप्ति तक सूतक रहेगा। ऐसे में गुरु पूर्णिमा उत्सव एवं गुरु पूजन आदि कर्म सूतक काल (2.54 बजे) से पूर्व ही संपन्न करना होगा।
क्या करें सूतक व ग्रहण काल में ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्र की मानें तो सूतक काल में भोजन तथा पेय पदार्थों का सेवन वर्जित है। इस काल में देव दर्शन भी नहीं करना चाहिए। ऋषि-मुनियों ने सूर्य व चन्द्र ग्रहण लगने के समय भोजन करने के लिए भी मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु तेजी से फैलता हैं। यही वजह है कि ऋषियों ने पात्रों में क़ुश अथवा तुलसी डालने को कहा है, ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जायं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके। ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है, ताकि कीटाणु मर जायं।
ग्रहण काल में इन बातों का रखे ध्यान – ग्रहण की अवधि में तेल लगाना भोजन करना, जल पीना, सोना, केश विन्यास करना,रति क्रीडा करना, मंजन करना, वस्त्र नीचोड़ना, ताला खोलना, वर्जित हैं।
– ग्रहण के समय सोने से रोग पकड़ता है, मल त्यागने से पेट में कृमि रोग पकड़ता है, स्त्री प्रसंग करने से मिलती निकृष्ट योनि और मालिश या उबटन किया तो व्यक्ति कुष्ठ रोगी होता है।
– सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुतुन्द नामक नरक में वास करता है। फिर वह उदर रोग से पीड़ित मनुष्य होता है। साथ ही काना और दंतहीन होता है।
– चंद्रग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे) । बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं । – ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए।
– ‘स्कंद पुराण’ के अनुसार ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षो का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है । – ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए
ग्रहण काल में करने योग्य बातें – ग्रहण लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप करना चाहिए – भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहा हैं- चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है
– ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें – ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राम्हण को दान करने का विधान है – ग्रहण के बाद पुराना पानी, अन्न नष्ट कर नया भोजन पकाया जाता है, और ताजा भरकर पीया जाता है
– ग्रहण पूरा होने पर (सूर्य या चंद्र), जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए – ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए
-ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र् दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है गर्भवती स्त्रियों के लिए खास सावधानी -गर्भवती स्त्री को सूर्य, चन्द्रग्रहण नहीं देखना चाहिए, क्योकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन जाता है। गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहू केतू उसका स्पर्श न करें।
ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को कुछ भी कैंची, चाकू आदि से काटने को मना किया जाता है, और किसी वस्त्र आदि को सिलने से मना किया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते हैं या फिर सिल (जुड़) जाते हैं।
किन राशियों पर कैसा रहेगा ग्रहण का फल मेष – सुख। वृष- मान नाश। मिथुन- मृत्यु तुल्य कष्ट। कर्क- स्त्री पीड़ा। सिंह- सौख्य। कन्या- चिन्ता। वृश्चिक- श्री।
तुला-स्वास्थ्य हानि धनु- क्षति। मकर- घात। कुम्भ- हानि। मीन- लाभ।