script…तो इसलिए मनाया जाता है जन्माष्टमी, जानिए क्या है शुभ मुहुर्त | Kishna Janamashtami 2017 Shubh Muhurt Auspicious Time In India News In Hindi | Patrika News

…तो इसलिए मनाया जाता है जन्माष्टमी, जानिए क्या है शुभ मुहुर्त

locationवाराणसीPublished: Aug 13, 2017 03:19:00 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

Sri Krishna Janmashtami 2017 Celebration : भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाते है जन्माष्टमी

Janamashtami

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वाराणसी. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के Krishna Paksh की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था। भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यदि रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग हो तो वह और भी भाग्यशाली माना जाता है। इसे Janmashtami के रूप में भी मनाया जाता है।
इस बार अष्टमी 14 अगस्त को सायं 07.45 पर आरम्भ होगी और यह 15 अगस्त को सायं 05.40 पर समाप्त होगी। रात्रि में अष्टमी तिथि 14 अगस्त को होगी। इसलिए इस बार Janmashtami 14 अगस्त को मनाना उत्तम होगा। 
हालांकि देश के कुछ क्षेत्रों में जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जा रही है। वैष्णव संप्रदाय में 15 अगस्त को ही जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। मध्य रात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म होगा और तभी जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
मामा कंस के विनाश के लिए कृष्ण ने मथुरा में लिया था जन्म
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में अत्याचारी मामा कंस के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में अवतार लिया था। इसलिए इस दिन मथुरा में काफी हर्षोउल्लास से Janmashtami मनाई जाती है। दूर-दूर से लोग इस दिन मथुरा आते हैं। इस दिन मथुरा नगरी पूरे धार्मिक रंग में रंगी होती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है और झांकियां सजाई जाती हैं। इसके अलावा मंदिरों में रासलीला का आयोजन भी किया जाता है। नीचे दिए गए वीडियो के मुताबिक 5 हजार 243 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण मध्य रात्रि में इस धरती पर अवतरित हुए थे।
देवताओं में भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनके जीवन के हर पड़ाव के अलग रंग दिखाई देते हैं। उनका बचपन लीलाओं से भरा पड़ा है। उनकी जवानी रासलीलाओं की कहानी कहती है, एक राजा और मित्र के रूप में वे भगवद् भक्त और गरीबों के दुखहर्ता बनते हैं तो युद्ध में कुशल नितिज्ञ। महाभारत में गीता के उपदेश से कर्तव्यनिष्ठा का जो पाठ भगवान श्री कृष्ण ने पढ़ाया है आज भी उसका अध्ययन करने पर हर बार नये अर्थ निकल कर सामने आते हैं। भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेने से लेकर उनकी मृत्यु तक अनेक रोमांचक कहानियां है।
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