वाराणसी. आदि देव शंकर की महिमा को समझ पाना सबके लिए आसान नहीं। उनके कितने रूप हैं, किन-किन रूपों में उनकी महिमा क्या है, क्या-क्या है उनका नाम, वह कब कहां रहते हैं, कहां वह रहते हैं और कहां उनकी आत्मा रहती है। यह सब समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं। लेकिन भगवान शंकर हैं वही जिन्होंने काशी नगरी को बसाया। यहीं उनका धाम है, लेकिन इसी काशी में जो कुछ बताया जाता है उनके बारे में वह चकित कर देने वाला है।
ये तो सभी जानते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी क्षेत्र में स्थित है। लेकिन उनकी आत्मा कहां वास करती है यह कम ही लोग जानते होंगे। और यह जानकर आश्चर्य भी होता है कि किसी देव का मूल स्वरूप कहीं हो और उनकी आत्मा कहीं और वास करती हो। लेकिन ऐसा ही है। पत्रिका संवाददाता जब इसकी तलाश में निकला तो पहुंच गया संकठा मंदिर के पीछे स्थित कात्यायनी मंदिर में। वहां जो जानकारी मिली वह हैरत में डालने वाली रही।
मां कात्यायनी देवी के गर्भ गृह में एक शिवलिंग भी है। कौतूहलवश जब मंदिर के महंत पंडित रविशंकर से पूछा कि इन महादेव के बारे में बताएं तो उनका जवाब सुनकर दंग रह गया। महंत पंडित मिश्र ने बताया कि यह आत्म विशेश्वर महादेव का शिवलिंग है। बताया कि यह श्री काशी विश्वनाथ की आत्मा के रूप में पूजे जाते हैं। इसी शिवलिंग में बाबा विश्वनाथ की आत्मा बसती है। इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से हर मुराद पूरी होती है। बताया कि ऐसा धर्म शास्त्रों में भी वर्णित है। पंडित मिश्र ने बताया कि जिस तरह के श्री काशी विश्वनाथ की पूजा-अर्चना होती है, जो-जो आरती बाबा विश्वनाथ की होती है वो सारी प्रक्रिया यहां भी होती है। यहां भी शाम के समय सप्तश्री आरती होती है।
उन्होंने बताया कि इस मंदिर परिसर में मां कात्यायनी, आत्म विशेश्वर का शिवलिंग तो है ही साथ में सभी नवग्रह का विग्रह भी है। यह काफी प्राचीन मंदिर है। श्री काशी विश्वनाथ से भी पुराना है यह मंदिर।