भाई के रास्ते पर चलना ही सपना है शहीद विशाल की बहन वैष्णवी ने बताया कि भाई के रास्ते पर चलना ही उसका सपना रहा। हालांकि इस बाबत उनसे कभी कोई चर्चा नहीं की, पर तैयारी उनके जीवित रहते ही शुरू कर दी थी। अब सारे फार्म भर चुकी हूं। रिटेन एग्जाम की तैयारी कर रही हूं। उसके लिए कोचिंग भी ज्वाइन किया है। मुझे हर हाल में पायलट बनना है, देश की सेवा ही करना है। वैष्णवी ने कहा कि भाई के शहीद होने के बाद तो मेरा संकल्प और दृढ़ हुआ है। इसके लिए माता-पिता भी तैयार है।
उसके पायलट बनने के बाबत सरकार या विपक्ष के नेताओं के स्तर से किसी तरह की किसी मदद के सवाल पर कहा कि सरकार से इससे क्या सरोकार है। सरकार सुनती कहां है। किसकी सुनती है पता नहीं। मैं खुद से तैयारी कर रही हूं। पिता इसके लिए मदद करते है। जहां तक विपक्ष का सवाल है तो जब सरकार में रहने वाले कुछ नहीं सुनते तो विपक्ष के लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है।
प्रियंका ने कहा था तैयारी करो पायलट बन जाओगी तो तुममे में ही अपने को पा लेंगे कांग्रेस महासचिव और पूर्वांचल प्रभारी प्रियंका गांधी अपने बनारस दौरे के वक्त शहीद विशाल के घर गई थीं, उस दौरान पिता विजय शंकर, मां विमला और विशाल के भाई बहन से मिली थीं। उस दौरान उन्होंने हुई बातचीत के बाबत मां विमला और वैष्णवी ने कहा कि, प्रियंका ने कहा था, मैने भी पिता को खोया है, आपका दर्द समझ सकती हूं। वैष्णवी ने बताया कि मेरे पायलट बनने की इच्छा जानकर उन्होंने कहा कि मैं भी पायलट बनना चाहती थी पर पिता की मौत के बाद मां ने मना कर दिया। अब अगर आप पायलट बनती हैं तो आप में ही खुद को देखूंगी। बस इतनी ही बात हुई थी।
एक न एक दिन लक्ष्य हासिल करके रहेंगे वैष्णवी ने अपनी तैयारी के बाबत कहा कि मै अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर रही हूं और एक न एक दिन लक्ष्य हासिल करके रहूंगी। मुझे पायलट बनना ही है। एयरफोर्स में जाना ही है।
कहा तो बहुत कुछ गया था पर अब कौन पूछता है वहीं शहीद विशाल के पिता विजय शंकर पांडेय ने कहा कि क्या कहें, बेटे के शहीद होने के बाद विधायक अनिल राजभर सहित अन्य मंत्रियों ने कहा था कि हुकुलगंज वाले मार्ग का नाम शहीद विशाल मार्ग होगा, शहीद स्मारक बनेगा लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब इसके लिए तो मैं किसी से कुछ कहने जाऊंगा नहीं। हां! यूपी सरकार के मुखिया से दरख्वास्त की थी कि मेरी बड़ी बहू प्रियंका सीतापुर में शिक्षक हैं उनका ट्रांसफर लखनऊ हो जाता तो बड़ा बेटा-बहू और छोटी बहू (शहीद विशाल की पत्नी माधवी) एक साथ रहते। माधवी और उसके दोनों बच्चों का लालन-पालन भी ठीक से हो जाता। काफी मदद मिलती। मुख्यमंत्री ने वादा भी किया था लेकिन दो महीने तो बीत गए, हुआ कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि शहीद विशाल के बच्चे श्रीनगर में ही पढ़ते थे, अब उनके शहीद होने के बाद से अब तक दोनों का किसी स्कूल में दाखिला भी नहीं हो सका है।
गांव पर कुछ जमीन थी, चचेरा भाई जो प्रधान भी है ने गांव वालों से मिल कर प्रस्ताव पारित कराया एक शहीद स्थल बनवाने के लिए। प्रस्ताव भेजा गया पीडब्ल्यूडी को लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं आई है।
एक ट्रांसफार तक तो हो नहीं सका
पांडेय ने कहा कि सरकार ने घोषणा की थी 25 लाख रुपये और बहू को नौकरी देने की तो रुपये मिल गए। बहू को लखनऊ में ही आंगनबाड़ी कार्यालय में निदेशक के अधीन काम मिल गया है। रुपयों में से पांच लाख रुपये हम पति-पत्नी के नाम मिला है और शेष 20 लाख रुपये बहू और बच्चों को। उन्होंने कहा कि घर आप देख ही रहे हैं, इसे विशाल और विकास (बड़ा बेटा) ने ही मिल कर बनवाया था। उन्हीं दोनों ने बड़ी बेटी की शादी की थी धूम-धाम से। अब दो छोटे एक बेटा और एक बेटी है, इनके भविष्य को लेकर चिंतित हूं। जीवन भर सिनेमा हॉल में मैनेजर रहा, बलिया से बनारस तक। अब तो सिनेमा हॉल भी बंद कर मल्टी प्लेक्स बनाने की तैयारी चल रही है सो वह आमदनी का जरिया भी खत्म हो चुका है। ऐसे में इस पांच लाख रुपये से घर का खर्च चलाएं या बेटा-बेटी का भविष्य संवारें। चल रहा है। देखते हैं।
छोटा बेटा करता है ट्यूशन बताया कि छोटा बेटा क्रिकेट को कैरियर बनाने में लगा है। इग्नू से बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद अब रणजी ट्राफी में चयन की तैयारी कर रहा है। दिन में प्रैक्टिस करता है। फिर शाम को ट्यूशन करता है ताकि कुछ आय हो सके ताकि मेरी भी कुछ मदद हो और उसका भी जेब खर्च निकल सके।
शहीद के परिवार के लिए सरकार को सोचना ही चाहिए उन्होंने कहा कि शहीद के परिवार के लिए तो सरकार को सोचना ही चाहिए। मुझे क्या चिंता या चाहत हो सकती है। शहीद के बच्चों की शिक्षा पूरी हो जाए। शहीद की पत्नी की नौकरी स्थाई रहे। जहां तक मेरी बात है तो छोटी बेटी और छोटे बेटे की जिम्मेदारी है, सरकार को इस दिशा में कुछ सोचना चाहिए कि ये जिम्मेदारी भी हम पूरी कर सकें।
परिवार का परिचय बता दें कि सीमा पर हवाई सुरक्षा के दौरान 27 फरवरी 2019 की रात विमान क्रैश में बनारस के लाल विशाल पांडेय शहीद हो गए थे। विशाल 2005 में सेना में भर्ती हुए थे। वह पत्नी माधवी और छह साल के बेटे विशेष व चार साल की बेटी धरा संग श्रीनगर में ही रहते थे। बनारस शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर कुरुहुआ गांव निवासी विजय शंकर पांडेय के बेटे विशाल का परिवार कुछ साल पहले ही शहर में शिफ्ट हुआ है। विजय शंकर ने पत्रिका को बताया कि हुकुलगंज स्थित आवास विकास और विशाल ने ही मिल कर बनवाया था। अभी इस घर में काफी निर्माण कार्य शेष है। उन्होंने बताया कि इन दोनों भाइयों ने ही मिल कर बहन की शादी बड़े धूम-धाम से दिसंबर 2017 में की थी।
अब परिवार में विशाल की मां विमला पांडेय, छोटी बहन वैष्णवी, बड़ा बेटा विकास और छोटा बेटा आकाश हैं। विकास लखनऊ में इंटास कंपनी (दवा कंपनी ) में जनरल मैनेजर में कार्यरत हैं जबकि उनकी पत्नी प्रियंका सीतापुर में शिक्षक है। छोटा बेटा क्रिकेटर है। इग्नू से बैचलर डिग्री हासिल की थी। उसके बाद से वह क्रिकेट को ही कैरियर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
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