कहा जाता ही कि प्राचीन काल में काशी के एक ब्राह्मण की तूती बोलती थी। लेकिन परिवार में विपत्तियों के कारण ब्राह्णण के घर दिनों दिनों धन की हानि होने लगी। वह ब्राह्मण. चिंतित रहने लगे। उन्होंने भगवान शिव की उपासना शुरू की। इसी बीच अवढर दानी भगवान शिव ने उनके स्वप्न में आए और निर्देश दिया कि महमूरगंज इलाके में विशालकाय पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग की स्थापना करके शिव का पूजन करे। पंडित ने ऐसा ही किया। देखते ही देखते उसके सारे कष्ट दूर हो गए। वो फिर से धनवान हो गए। उसके बाद से ही इस मंदिर में लोगों को आना जाना शुरू हुआ। अब तो हर सोमवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ में उमड़ती है।
इस मंदिर में भगवान के शिवलिंग के साथ ही भगवान राम, लक्ष्मण माता सीता की भी मूर्ति है। इसके साथ ही यहां भक्त हनुमान का भी वास है। पीपल के विशाल पेड़ में रक्षा बांधने से लोगों के कष्ट भी दूर हो जाते हैं। मंदिर के पुरोहित मुकेश शास्त्री कहते हैं कि यहां पर पूर्वांचल के कई जिलों के लोगों का आना जाना होता है। भगवान शिव की कृपा से लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं।