वाराणसी

जानिए क्यों मनाते हैं नागपंचमी, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

नाग पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

वाराणसीAug 04, 2019 / 01:03 pm

sarveshwari Mishra

Nag Panchami

वाराणसी. सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 5 अगस्त को है। इस दिन नाग देवता के 12 स्वरुपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने और रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। मान्यता यह भी है कि इस दिन सांपों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे नागपंचमी के दिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करनी चाहिए।
 

 

नाग पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी की तिथि: 05 अगस्‍त 2019
नाग पंचमी तिथि प्रारंभ: 04 अगस्त 2019 की रात 12 बजकर 19 मिनट से।
नाग पंचमी तिथि समाप्‍त: 05 अगस्‍त 2019 को रात 09 बजकर 25 मिनट तक।
नाग पंचमी की पूजा का मुहूर्त: 05 अगस्‍त 2019 को सुबह 06 बजकर 29 मिनट से सुबह 08 बजकर 41 मिनट तक।
 

नागपंचमी का महत्व
मान्यता है कि कि सर्प ही धन की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं और इन्हें गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करने वाला माना जाता है. नाग, मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं. जो हमारे धन की रक्षा में हमेशा तत्पर रहते हैं. इसलिए धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है. इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है।
 

 

क्यों मनाया जाता है नागपंचमी का पर्व
नागपंचमी मनाने के पीछे कई प्रचलित कहानियां है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे पीने को कोई तैयार नहीं था। अंतत: भगवान शंकर ने उसे पी लिया। भगवान शिव जब विष पी रहे थे। तभी उनके मुख से विष का कुछ बूंद नीचे गिरी और सर्प के मुख में समा गई। इसके बाद ही सर्प जाति विषैली हो गई। सर्पदंश से बचाने के लिए ही इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।
 

भगवान कृष्ण का आशीर्वाद
नागपंचमी को लेकर एक कहानी यह भी प्रचलित है कि भगवान कृष्ण ने उन्हें यह वरदान दिया था कि जो भी जातक नाग देवता को दूध पिलाएगा उसे जीवन में कभी कष्ट नहीं होगा। दरअसल, एक बार कालिया नाम के नाग ने प्रतिषोध में पूरी यमुना नदी में विष घोल दिया। इसके बाद यमुना नदी का पानी पीने से बृजवासी बेहोश होने लगे। ऐसे में भगवान कृष्ण ने यमुना नदी के अंदर बैठे कालिया को बाहर निकालकर उससे युद्ध किया। युद्ध में कालिया हार गया और यमुना नदी से उसने अपना सारा विष सोख लिया। भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर कालिया को वरदान दिया और कहा कि सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा और सर्पों की पूजा की जाएगी।

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