बता दें कि गावों में खेतों की तस्दीक के लिये तो खतौनी होती है, लेकिन आबादी क्षेत्र में बने मकानों के मालिकाना हक का कोई अभिलेख नहीं होता है। संपत्तियों पर अतिक्रमण के कारण गांवों में आए दिन विवाद होते हैं। गांवों में आबादी क्षेत्र की संपत्तियों का सीमांकन करके ग्रामीणों को उनके मकानों का स्वामित्व मुहैया कराने के लिये अप्रैल में प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना का शुभारंभ किया था। योजना के तहत ड्रोन टेक्नोलाजी के माध्यम से आबादी क्षेत्र की एरियल फोटोग्राफी कराई जा रही है। आबादी क्षेत्र में आने वाली सम्पत्तियों का सीमांकन इसी के आधार पर ग्रामीणों को उनके मकान का स्वामित्व (घरौनी) मुहैया कराई जाएगी।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि गांवों में आए दिन सम्पत्ति को लेकर होने वाली फौजदारी में कमी आएगी। विवद और सम्पत्ति के झगड़े कम होंगे। इसके अलावा ग्रामीणों को घरों का मालिकाना हक मिल जाने के बाद उसके आधार पर उन्हें बैंक से लोन मिलने में आसानी होगी। यूपी में 1,08,937 राजस्व गांवों में स्वामित्व योजना के तहत आबादी का सर्वेक्षा किया जाना है। करीब 82 हजार गांवों में आबादी क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिये राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है। 54 हजार गांवों का सर्वेक्षण इसी वित्तीय वर्ष में कर लिये जाने का लक्ष्य रख गया है। अभी जिन 37 जिलों के 350 गांवों को स्वामित्व प्रदान किया जाना है। वहां आबादी में सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया गया है।
आजमगढ़ जिले में योजना के तहत प्रथम चरण में जिले की दो तहसीलों के 10 गांव चयनित किये गए हैं? जिनमें अब तक दो तहसीलों के छह गांवों के 161 ग्रामीणों के स्वामित्व प्रमाण पत्र पर राजस्व निरीक्षक के डिजिटल हस्ताक्षर हो चुके हैं। जिन गांवों के ग्रामीणों का स्वामित्व प्रमाण अभी नहीं बना है उसे 2 अक्टूबर से पहले पूरा किया जाएगा।
मुख्य राजस्व अधिकारी हरिशंकर का कहना है कि स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी होने के बाद लोगों का मकान पर मालिकाना हक होगा। इससे अवैध कब्जों पर लगाम लगेगी। गांव में विवाद कम होंगे। लोगों को मालिकाना हक देने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इसे निर्धारित समय पर पूरा किया जाएगा।
इन जिलों के ग्रामीणों को मिलेगा स्वामित्व प्रमाण पत्र
गोरखपुर, वाराणसी, फतेहपुर, गोंडा, गाजीपुर, देवरिया, चंदौली, चित्रकूट, बहराइच, बस्ती, बाराबंकी, बांदा, बलरामपुर, बलिया, आजमगढ़, अयोध्या, अमेठी, अंबेडकरनगर, मऊ, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, झांसी, कौशांबी, कुशीनगर, ललितपुर, महाराजगंज, महोबा, मीरजापुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, संत रविदासनगर, संत कबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र और सुलतानपुर।
हर मकान का होगा यूनीक आईडी नंबर
योजना के तहत गांव के हर मकान का अपना एक युनीक आडी नंबर होगा। गांव वालों को जो स्वामित्व प्रमाण पत्र दिया जाएगा उसमें मकान का 13 अंकों का युआईडी नंबर होगा। पहले छह अंक कोड, जबकि अगले पांच अंक आकादी के प्लाट नंबर और आखिर के दो अंक संभावित विभाजन को दर्शाएंगे।
सर्वेक्षण कर तैयार होगी सूची, 15 दिन में दर्ज करा सकेंगे आपत्ति
सर्वेक्षण के लिये सबसे पहले गांव में चूने से मार्किंग कर सभी सम्पत्तियों को इस तरह अलग-अलग किया जाएगा, ताकि ड्रोन से तस्वीर लेने पर वह अलग-अलग दिखें। ड्रोन फोटोग्राफी के आधार पर मैप तैयार होगा और उसमें दर्शाए गए मकानों को आदि का नंबरिंग कर मकान के मालिकों का नाम लिखा जाएगा। एक घर में कई हिस्से हैं तो सबके नाम उसमें अंकित होंगे। सार्वजनिक भूमि, नाला, खड़ंजा, रास्ता, मंदिर, मस्जिद आदि को भी अलग-अलग नंबर दिया जाएगा। आबादी क्षेत्र की सम्पत्तियां नौ श्रेणियों में बांटी जाएंगी। सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई सूची गांव में प्रकाशित की जाएगी। सूची पर आपत्ति दर्ज कराने के लिये प्रकाशन से 15 दिन का समय दिया जाएगा। आपत्तियों की सुनवायी एसडीएम (सहायक अभिलेख अधिकारी) करेंगे। सहमति न बनने पर न्ययालयके आदेश से मामला निस्तारित होगा।