scriptPatrika Exclusive- गरीबी को मात दे कर International pitch पर तिरंगा लहरा रही काशी की बेटी | Know about Varanasi daughter Pooja Yadav who created history | Patrika News

Patrika Exclusive- गरीबी को मात दे कर International pitch पर तिरंगा लहरा रही काशी की बेटी

locationवाराणसीPublished: Nov 17, 2019 05:16:30 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

International pitch पर तिरंगा लहराने वाली काशी की यह बेटी है बुनकर परिवार से-आज भी छुट्टियों में ताना-बाना में माता-पिता के बंटाती है हाथ-काशी की इस बेटी की है चाहत बनारस और यूपी में भी हो ऐसी व्यवस्था कि अन्य प्रदेश के खिलाड़ी भी दुनिया में लहरा सकें परचम-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने के बाद भी सुविधाओं का है अकाल
 

अंतर्राष्ट्रीय पहलवान पूजा यादव

अंतर्राष्ट्रीय पहलवान पूजा यादव

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी


वाराणसी. सही कहा है, प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। जरूरी नहीं कि संपन्न परिवार में ही टैलेंट हो, सच मानें तो टैलेंट तो गुदड़ी में ही छिपा होता है। बस पारखी नजर होनी चाहिए और उसके बाद हीरे की तरह तराशने वाला हो तो क्या पूछना। ऐसा ही कुछ है वाराणसी की इस बेटी में जिसने गरीबी को मात देकर International pitch तिरंगा लहराने का सपना देखा और अब उसे पूरा करने में दिन-रात जुटी है। एक पायदान चढ़ भी चुकी है, हंगरी के वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग ले कर। पत्रिका ने रविवार को इस युवा महिला खिलाड़ी से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश…
2009 में शुरू किया था सफर

बात कर रहे हैं काशी की उस बेटी का जिसने मां मुन्नी देवी और पिता मंगला प्रसाद से ताना-बाना का जो गुर सीखा उसे उसने कुश्ती के दांव-पेंच में इस्तेमाल किया। साधारण से बुनकर परिवार की इस बेटी ने जब 2009 में कुश्ती को अपना पैशन बनाया तो किसी को उम्मीद न थी कि यह एक दिन अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर बनारस ही नहीं देश का नाम रोशन करेगी। न दो वक्त ठीक से खाना नसीब हो पाता था, न ट्रेनिंग के उपकरण। लेकिन एक जज्बा था, इंडिया की जर्सी पहनना और दुनिया के सामने देश के लिए मेडल हासिल कर राष्ट्रीय ध्वज का मान बढ़ाना। राष्ट्र गान की धुन बजवाना।
इसी टूटे-फूटे घर में माता-पिता और परिवारजनों संग रहती है अंतर्राष्ट्रीय पहलवान पूजा यादव
IMAGE CREDIT: patrika
रेल लाइन के किनारे टूटू-फूटे घर की बेटी है पूजा

यहां हम बात कर रहे हैं वाराणसी के खेल गांव के रूप में विख्यात भट्टी की जहां रेल लाइन के किनारे टूटे-फूटे घर में रहने वाले मंगला यादव और मुन्नी देवी की बेटी ने जन्म लिया। माता-पिता ने उसका नाम रखा पूजा। बचपन से ही माता पिता के साथ बुनकरी में जुट गई। लेकिन साथ-साथ कुश्ती के दांव-पेंच भी सीखने लगी। पहली बार जब 2009 में डॉ संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम पहुंची तो दुबली-पतली इस बच्ची को देख कर किसी ने भी कयास नहीं लगाया था कि यह एक दिन बनारस की इस माटी का दुनिया भर में नाम रोशन करेगी। लेकिन इस बच्ची का जुनून ही था कि आज उसने बनारस के लिए इतिहास रच दिया है। वह बनारस की पहली लड़की है जिसने इंटरनेशनल चैंपियनशिप में प्रतिभाग किया है।
कोच तथा माता-पिता और परिवारजनों संग अंतर्राष्ट्रीय पहलवान पूजा यादव
IMAGE CREDIT: patrika
हंगरी में आयोजित अंडर 20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में किया प्रतिभाग

पूजा अब अनजान चेहरा नहीं है। तीन-तीन नेशनल गोल्ड मेडल हासिल करने वाली इस किशोरी ने हाल ही में हंगरी में आयोजित अंडर 23 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भाग लिया। पूजा और उसके बचपन के कोच गोरख यादव को भी बड़ी उम्मीद थी कि वह कोई न कोई मेडल जरूर जीतेगी देश के लिए। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सका और पूजा को किरकिस्तान की पहलवान ने मात दी। प्रतियोगिता में पूजा को नौवां स्थान हासिल हुआ।
माता-पिता और परिवारजनों संग अंतर्राष्ट्रीय पहलवान पूजा यादव
IMAGE CREDIT: patrika
पूजा का सपना, देश के लिए ओलंपिक में जीतना है मेडल

लेकिन पूजा ने हिम्मत नही हारी है। पूजा ने पत्रिका को बताया कि उनका सपना है ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतें। इसकी तैयारी में वह जुट गई हैं। वह सोमवार की सुबह ही ट्रेनिंग के लिए नंदिनी नगर गोडा निकलने वाली हैं जहां रह कर वह तैयारी करेंगी। अभी सीनियर नेशनल चैंपियनशिप जो 28 दिसंबर से जालंधर में होना है उसके लिए क्वालीफाई करना है। पूजा बताती हैं कि पहले नेशनल में गोल्ड हासिल करना है। उसके बाद ही वह अगले ओलंपिक के बारे में सोच पाएंगी जो उनका सपना है।
ये भी पढें- Pride of Varanasi इस बेटी को सपा ने किया सम्माननित, कहा इस बिटिया के सपने को साकार करेगी पार्टी

यूपी सरकार दे सुविधा से हर साल निकले नेशनल-इंटरनेशनल प्लेयरः पूजा
पूजा ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि मेरे जैसे अनेक प्रतिभावन खिलाडी हैं बनास और यूपी में लेकिन सुविधाओं का अकाल है। बताया कि वह हंगरी का दौरा जरूर कर आई पर इस दौरान एयर टिकट के अलावा और कुछ भी हासिल नहीं हुआ। वह कहती हैं कि अगर यूपी सरकार भी पंजाब की तरह जिला स्तर पर ही पहलवानों को सुविधा मुहैया कराए तो यहां से हर साल एक नेशनल-इंटरनेशनल खिलाड़ी निकले। न यहां मैट है न फिजिकल एक्टीविटि के लिए आधुनिक जिम। एक पहलवान को जो डायट चाहिए वह भी नहीं मिल पाता। बनारस में तो कोई सुविधा नहीं है।
रोते-रोते बोली पूजा की मां काश कि हम कुछ कर पाते

वहीं पूजा की मां मुन्नी देवी और पिता जो आज भी ताना-बना से ही जुड़े हैं। पत्रिका से बातचीत में दोनों की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। मां तो आंसू रोक भी नहीं पाती और भर्राए-कांपते स्वर में कहती हैं कि हमें दुःख इस बात का है कि हम अपनी बेटी को वो कुछ नहीं दे पा रहे जिसकी वह हकदार है। पिता कहते हैं कि मेहनत मजूरी कर के जो भी जुटता है वो करते है पर दुनिया में नाम कमाने के लिए यह कुछ भी नहीं। ये तो अकेले ही साइकिल से भट्टी से सिगरा स्टेडियम जाती है। देर सबेर होता है तो चिंता होती है पर यह सोच कर सुकून मिलता है कि यह तो अब देश की बेटी है। मां मुन्नी देवी कहती हैं अब तो साल-साल भर घर के बाहर रहती है, फोन से बात होती है। यही सोच कर खुश हो लेते हैं कि बेटी एक दिन हम सब का नाम रोशन करेगी। मां और पिता एक स्वर से कहते हैं ये मेरा “बेटा” है। दोनोें एक साथ बोल उठते हैं, हमरा भी सपना है कि उनकी बेटी एक दिन देश का नाम रोशन करे, प्रदेश का नाम रोशन करे, तिरंगा लहराए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो