ऐसे करें नागपंचमी की पूजा
सबसे पहले प्रात: काल उठकर स्नान करके भगवान शिव का स्मरण करें। सबसे पहले भगवान शिव का अभिषेक करें उसके बाद उन्हें बेलपत्र और जल अर्पित करें। फिर शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करें। नाग देवता पर हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद बताशा और कच्चा दूध अर्पित करें। घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं इसकी भी पूजा करें। इसके बाद “ॐ कुरु कुल्ले फट स्वाहा” का जाप करते हुए पूरे घर में जल छिडकें।
सबसे पहले प्रात: काल उठकर स्नान करके भगवान शिव का स्मरण करें। सबसे पहले भगवान शिव का अभिषेक करें उसके बाद उन्हें बेलपत्र और जल अर्पित करें। फिर शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करें। नाग देवता पर हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद बताशा और कच्चा दूध अर्पित करें। घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं इसकी भी पूजा करें। इसके बाद “ॐ कुरु कुल्ले फट स्वाहा” का जाप करते हुए पूरे घर में जल छिडकें।
पूजा करते समय ध्यान रखें ये बातें
बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा न करें। नागों की स्वतंत्र पूजा न करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रुप में ही करें। जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हों उन्हें इस दिन न तो भूमि खोदनी चाहिए और न ही साग काटना चाहिए। अगर राहु केतू से परेशान हैं तो एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतीकात्मक रुप से सर्प बनाएं। इसे एक आसन पर स्थापित करें। अब कच्चा दूध, बताशा, फूल अर्पित करें साथ ही गुग्गल की धूप जलाएं। राहु के मंत्र “ॐ रां राहवे नमः” तथा केतु के मंत्र “ॐ कें केतवे नमः” का जाप करें। इसके बाद गांठ खोलते जाएं।
बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा न करें। नागों की स्वतंत्र पूजा न करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रुप में ही करें। जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हों उन्हें इस दिन न तो भूमि खोदनी चाहिए और न ही साग काटना चाहिए। अगर राहु केतू से परेशान हैं तो एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतीकात्मक रुप से सर्प बनाएं। इसे एक आसन पर स्थापित करें। अब कच्चा दूध, बताशा, फूल अर्पित करें साथ ही गुग्गल की धूप जलाएं। राहु के मंत्र “ॐ रां राहवे नमः” तथा केतु के मंत्र “ॐ कें केतवे नमः” का जाप करें। इसके बाद गांठ खोलते जाएं।