ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी पर अद्भुत संयोग बन रहा है। इस इस बार वैसा ही संयोग बन रहा है जैसा द्वापर युग में उनके जन्म के समय बना था। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र हो, सूर्य सिंह राशि में हो तथा चंद्रमा वृष राशि में हो तब यह योग बनता है। रविवार को रात्रि 10:30 बजे से लेकर रात्रि 12:06 बजे तक वृष लग्न भी होगा।
जन्माष्टमी 2 सितंबर को है। 2 सितंबर की रात्रि को 8 बजकर 48 मिनट से अगले दिन शाम 7 बजकर 20 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। रोहिणी नक्षत्र रात्रि 8:49 बजे से सोमवार रात्रि 8:05 बजे तक रहेगा। 3 सितंबर को अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र का संयोग शाम 7:20 बजे तक रहेगा इसके बाद अर्द्धरात्रि में नवमी तिथि मृगशिरा नक्षत्र व्याप्त होने से अष्टमी व्रत का विशेष माहात्म्य नहीं होगा। इसलिए 2 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अर्द्धरात्रि अष्टमी रोहिणी नक्षत्र वृषभ लग्न चंद्रोदय काल में मनाना शुभ रहेगी। वहीं वैष्णव सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे।
जन्माष्टमी का मुहूर्त
अष्टमी तिथि समाप्त – 3 सितंबर को शाम 7:20 बजे तक
अष्टमी तिथि समाप्त – 3 सितंबर को शाम 7:20 बजे तक