वाराणसी

BJP से नाराज अनुप्रिया पटेल की पार्टी को बड़ा झटका, भाजपा अब इस दल से गठबंधन कर सकती है

पटेल वोटों को साधने के लिये अनुप्रिय पटेल की पार्टी का विकल्प बन सकती है यह पार्टी, शीर्ष नेतृत्व में बातचीत होने का दावा।

वाराणसीJan 07, 2019 / 12:42 pm

रफतउद्दीन फरीद

नरेन्द्र मोदी और अनुप्रिया पटेल व कृष्णा पटेल

वाराणसी. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की सियासत करवट लेने लगी है। राजनैतिक पार्टियां गठबंधन की बिसात बिछाने लगी हैं। दुश्मन दोस्त हो रहे हैं तो दोस्तों के बीच हल्की दरार देख दूसरे अपने लिये मौका तलाशने में जुटे हैं। भारतीय जनता पार्टी व सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) के बीच नाराजगी सबके सामने आ चुकी है और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सम्मानजनक सीटें न मिलने पर एनडीए यानि बीजेपी के साथ गठबंधन में बने रहने पर विचार करने तक की धमकी दे डाली है। यह नाराजगी अब भी बनी हुई है, लेकिन इस नाराजगी का अपना दल (एस) यानि अनुप्रिया पटेल की पार्टी को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है, क्योंकि उनका विकल्प बनने के लिये खुद उनकी मां अपना दल की कृष्णा पटेल मैदान में आ गयी हैं।
 

उनहोंने पत्रिका से बातचीत में कहा है कि अगर सम्मानजनक सीटें मिलती हैं और बीजेपी उनकी बात मानती है तो वह उसके साथ जा सकती हैं। बताते चलें कि अपना दल के संस्थापक सोने लाल पटेल की राजनैतिक विरासत के लिये वर्चस्व की जंग के चलते अपना दल टूट चुकी है और अनुप्रिया पटेल अपना दल (सोनेलाल) के नाम से नई पार्टी बना चुकी हैं, जो यूप विधानसभा चुनावों में बीजेपी के साथ थी, जबकि कृष्णा पटेल की अपना दल ने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
 

अपना दल प्रमुख कृष्णा पटेल ने पत्रिका से दावा किय है कि वह बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के सम्पर्क में हैं और इस संबंध में उनसे बातचीत चल रही है। अगर बात बनती है और भाजपा उन्हें सममानजनक सीट व उनकी बातों को महत्व देती है तो उन्हें बीजेपी के साथ जाने में कोई गुरेज नहीं। मां कृष्णा पटेल का यह दांव बेटी अनुप्रिया को सियासी पटखनी देने के लिये अहम माना जा रहा है। फिलहाल चर्चा में यह भी है कि किसी पार्टी से गठबंधन हो जाने पर मां कृष्णा पटेल बड़ी बेटी अनुप्रिया के खिलाफ छोटी बेटी पल्लवी पटेल को मिर्जापुर से चुनाव लड़ा सकती हैं। उनकी पार्टी इसके लिये कवायद भी कर रही है।
 

बताते चलें कि अपना दल ने 2014 में भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा और मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल व प्रतापगढ़ से कुंवर हरिवंश सिंह पार्टी के टिकट पर जीतकर आए। अनुप्रिया के सांसद बनने के बाद उन्हें वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ा। उपचुनाव में इस सीट पर पार्टी ने कृष्णा पटेल को लड़ाया, लेकिन वह समाजवादी पार्टी से हार गयीं। इस दौरान परिवार में राजनैतिक वर्चस्व को लेकर शुरू हुई खींचतान के बाद कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया को पार्टी से निकाल दिया। बाद में अनुप्रिया पटेल अपना दल (सोनेलाल) के नाम से पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ ही रहीं और यूपी विधानसभा चुनाव में 12 सीटों पर लड़कर नौ पर जीत हासिल की।
 

अब पहले पार्टी अध्यक्ष अशीष पटेल और फिर अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी से नाराजगी जाहिर कर यह कहते हुए अधिक सीटों की मांग कर दी कि 2014 के बाद उनकी पार्टी की ताकत बढ़ी है। अब देखना यह होगा कि अनुप्रिया पटेल इस सियासी संकट से कैसे निपटती हैं, क्योंकि उनके हटते ही विकल्प बनने के लिये कृष्णा पटेल अपनी पार्टी के साथ खड़ी हैं और बीजेपी को पटेल वोटों को साधने के लिये पटेलों की एक पार्टी की जरूरत है जो दोनों में से कोई भी हो फर्क नहीं पड़ेगा।

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