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वाराणसी

वाराणसी के माध्यमिक स्कूलों का बुरा हाल, कहीं शिक्षकों का टोटा तो कहीं प्रधानाचार्य ही नहीं

नया पाठ्यक्रम बना जी का जंजाल, पढ़ाई प्रभावित। प्रधानाचार्यों की मांग शिक्षकों के लिए हो वर्कशॉप।

वाराणसीJul 12, 2018 / 02:44 pm

Ajay Chaturvedi

माध्यमिक स्कूल प्रतीकात्मक फोटो

माध्यमिक स्कूल प्रतीकात्मक फोटो

वाराणसी. जिले के माध्यमिक स्कूलों का बुरा हाल है। सत्र अप्रैल में ही शुरू हो गया पर हाल यह है कि कहीं शिक्षकों का टोटा है तो कहीं प्रधानाचार्य ही नहीं है। सहायता प्राप्त विद्यालयों को छोड़ें राजकीय विद्यालयों की स्थिति डांवा डोल है। ऐसे में पढाई लिखाई पूरी तरह से प्रभावित है। इतना ही नहीं नए सत्र से शासन ने विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के मुकाबिल बनाने की खातिर पाठ्यक्रम में जो परिवर्तन किया वह भी शिक्षकों के पल्ले नहीं पड़ रहा है। ऐसे में विद्यार्थी अलग परेशान हैं।
सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों की कमी
बता दें कि वर्षों से माध्यमिक विद्यालयों को जरूरत के मुताबिक शिक्षक नहीं मिले, ऐसे में हर विद्यालय में प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के पद रिक्त हैं। हर वर्ष शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं पर उसके सापेक्ष नियुक्ति नहीं हो रही है। अब इसी साल मार्च 2018 में बनारस में 44 शिक्षक सेवानिवृत्त हुए। इसी तरह गाजीपुर में 52, जौनपुर में 70 और चंदौली में 17 यानी वाराणसी मंडल में कुल 184 शिक्षक सेवानिवृत्त हुए। हालांकि इस बाबत पूर्व शिक्षक विधायक डॉ प्रमोद मिश्र ने बताया कि इस साल भले ही जिले में महज 44 शिक्षक सेवानिवृत्त हुए पर पिछले सालों में यह संख्या 100 के आसपास होती रही है। सिर्फ एक साल के आंकड़ों को आधार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रायः हर विद्यालय में शिक्षक की कमी है। कहा कि ऐसा भी नहीं कि केवल विज्ञान और गणित के ही शिक्षकों की कमी है। अब तो धीरे-धीरे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, भूगोल, इतिहास के भी शिक्षकों की कमी हो गई है।
राजकीय विद्यालयों में प्रधानाचार्य ही नहीं
उधर राजकीय विद्यालयों की बात करें तो जिले के सात ऐसे विद्यालय हैं जहां वर्षों से प्रधानाचार्य ही नहीं हैं। ऐसे में वरिष्ठ शिक्षक या उप प्रधानाचार्य से काम चलाया जा रहा है। कार्यवाहक प्रधानाचार्य की सूरत में विद्यालयों का संचालन कठिन हो रहा है। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी विभाग को नहीं है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

प्रधानाचार्य विहीन राजकीय विद्यालय

राजकीय क्वींस इंटर कॉलेज
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, मलदहिया
राधा किशोरी इंटर कॉलेज रामनगर
प्रभु नारायण सिंह राजकीय इंटर कॉलेज, रामनगर
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज जक्खिनी
राजकीय इंटर कॉलेज, जक्खिनी
राजकीय इंटर कॉलेज टिकरी

नया पाठ्यक्रम बना जी का जंजाल
उधर नया पाठ्यक्रम जो इस साल से लागू हुआ है उसके पढ़ाने वाले ही नहीं रहे माध्यमिक विद्यालयों में। बता दें कि शासन ने यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के काबिल बनाने के लिए पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर दिया है। अब वर्षों ने यूपी बोर्ड का पाठ्यक्रम पढा रहे शिक्षकों को इससे दिक्कत आने लगी है। एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में सब कुछ शार्टकट है। शिक्षकों का कहना है कि इससे छात्र-छात्राओं को समझाना मुश्किल हो रहा है। पुराने पाठ्यक्रम में सब कुछ विस्तार से होता था जिसे समझाना और समझना दोनों ही आसान था। अब तो प्रधानाचार्य भी इस नए पाठ्यक्रम के हिसाब से शिक्षकों को अपडेट करने के लिए वर्कशॉप की मांग कर रहे हैं।
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