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उम्भा की तरह बनारस से बलिया तक फैला है भूमाफिया का जाल, मिली भगत से बेदखल किए जा रहे किसान

locationवाराणसीPublished: Jan 18, 2020 06:50:40 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

किसानों का आरोप-खतौनी में अवैध आदेशों के चलते भूमिधर किसान कागजों पर बने भूमिहीन-व्यापक फर्जीवाड़े से भूमाफियाओं की चांदी-बलिया स्थित सर्वे न्यायालय में खुलेआम मांगी जा रही रिश्वत-राजमार्ग 29 के चौडीकरण में मुआवजा वितरण की प्रक्रिया भी प्रभावित -40 साल से परेशान हैं कैथी के किसान
-जा चुकी है एक किसान की जान

भूमि संघर्ष प्रतीकात्मक फोटो

भूमि संघर्ष प्रतीकात्मक फोटो

वाराणसी. पूर्वी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र स्थित उम्भा गांव में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से वाजिब भू स्वामियों को बेदखल कर उनकी जमीन पर अवैध कब्जा करने का नतीजा भुगत चुके इस पूर्वांचल में उम्भा अकेला गांव नहीं। यह दीगर है कि उम्भा प्रकरण के बाद प्रदेश सरकार ने जिस तत्परता के साथ कार्वाई शुरू की और मिर्जापुर व सोनभद्र में सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का दावा किया है। उसके बाद अब बनारस और गाजीपुर के किसानों ने भी न्याय की गुहार की है। क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि अगर जल्द इलाके की जमीनों की सही चकबंदी कर वाजिब लोगों को उनका हक नहीं मिलता को उम्भा की पुनरावृत्ति बड़ी बात नहीं।
वाराणसी की पूर्वी सीमा पर गंगा गोमती संगम पर स्थित कैथी के निवासी सेवानिवृत्त आईबी अधिकारी श्यामचरण पांडेय बताते हैं कि कैथी गांव मार्कंडेय महादेव धाम के कारण सुविख्यात है। संगम स्थल देखने में बहुत ही सुरम्य है और पर्यटन की दृष्टि से इसका महत्व बहुत बढ़ता जा रहा है। लेकिन.गोमती नदी के इस संगम का वास्तविक स्थान इससे कहीं बहुत आगे है। ऐसा गोमती द्वारा वर्ष 1978 में किए गए धारा परिवर्तन के कारण हुआ है। नदी की कटान के कारण कैथी की सैकड़ों एकड़ भूमि नदी के उस पार चली गई और गोमती ने कैथी गांव की आबादी की तरफ अपना रुख करते हुए गंगा में एक नए स्थान पर संगम बना लिया, तभी से अब तक यहां के किसान उस कटान का दंश झेल रहे हैं।
पांडेय बताते हैं कि गाजीपुर जिले के कुसहीं और खरौना गांव के लोग जमीनों पर अवैध तरीके से काबिज होने की कोशिश करने लगे हैं। आए दिन मारपीट, फौजदारी होने लगी है। यहां तक कि इस फौजदारी में एक किसान की मौत भी भी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार उत्पन्न वाराणसी-गाजीपुर जनपद के बीच के सीमा विवाद के निस्तारण के लिए ग्राम कैथी के सभी राजस्व अभिलेख सन 1979 में रिकार्ड आपरेशन के लिए सहायक अभिलेख अधिकारी बलिया को हस्तांतरित कर दिए गए। विवाद के कारण कैथी गांव की चकबंदी नही हो सकी। अब किसानो की दूसरी पीढ़ी न्याय की गुहार लगाते-लगाते थक चुकी है।
गोमती नदी की कटान के कारण उत्पन्न गाजीपुर वाराणसी जनपद सीमा विवाद के कारण ग्राम कैथी के राजस्व अभिलेख वर्ष 1979 में सहायक अभिलेख अभिलेख अधिकारी, बलिया को रिकार्ड आपरेशन के लिए हस्तांतरित कर दिए गये थे। नियमतः इस कार्य को 5 वर्ष में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन कुछ नही हुआ। उस खतौनी पर वहां कतिपय राजस्व कर्मचारियों द्वारा तमाम अनाधिकार व अवैध आदेश दर्ज कर दिए गए हैं जिससे अनेक भूस्वामी अब कागजों पर भूमिहीन हो गए हैं। वहां भूमाफिया प्रकृति के लोग काबिज हो चुके हैं। वर्तमान में खतौनी जीर्णशीर्ण, अस्पष्ट एवं अपठनीय हो गई है। मूल खतौनी के दर्जनों पन्ने गायब कर दिए गए हैं।
पांडेय के अनुसार सहायक अभिलेख अधिकारी बलिया के कार्यालय से संबद्ध कर्मचारी विभिन्न प्रकार से कैथी के किसानो को परेशान करके उनका आर्थिक दोहन करते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 29 कैथी गांव से होते हुए जाता है जिसके चौडीकरण की प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया में मुआवजा वितरण का कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है, क्योंकि दो वर्षों में केवल 20 प्रतिशत किसानो को ही मुआवजा मिल सका है। शेष के भू- अभिलेखों अथवा हिस्सा प्रपत्रों पर आपत्तियां है, जिसका लाभ सहायक अभिलेख अधिकारी बलिया और सक्षम अधिकारी कार्यालय वाराणसी से संबद्ध कर्मचारी उठा रहे हैं और ग्रामीणों से धन उगाही कर रहे हैं। इसी प्रकार कर्मचारियों की मिली भगत से 39 लाख रूपये का फर्जी तरीके से भुगतान भी करा लिया गया जिसे माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से रिकवरी कराई गई।
कैथी के किसानो ने मुख्यमंत्री, केंद्रीय कौशल विकास मंत्री एवं स्थानीय सांसद डॉ महेंद्र नाथ पांडेय और उतर प्रदेश सरकार में प्रमुख सचिव राजस्व रजनीश दूबे से लगायत जिलाधिकारी और मंडलायुक्त वाराणसी से मिल कर उन्हें कई बार समस्या बताते हुए गुहार लगाई और निवेदन किया कि सहायक अभिलेख अधिकारी, बलिया के यहां रिकार्ड आपरेशन के लिए रखी गई कैथी ग्राम की खतौनी (1383-85 फसली) में हुए अवैध एवं अनाधिकार आदेशों को हटाते हुए खतौनी को मूल रूप में तैयार कराने, 35 वर्षो से लम्बित कैथी गांव की रिकार्ड आपरेशन की प्रक्रिया को तत्काल पूर्ण कराने और गांव की चकबंदी प्रक्रिया प्रारंभ कराई जाय। लेकिन इस मुद्दे पर अब तक सकारात्मक पहल न होने से इससे किसानो में निराशा के साथ गुस्सा भी है।
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