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महाशिवरात्रिः इस बार आतंकवाद के विरोध में सांप्रदायिक सौहार्द्ध को समर्पित होगी शिव बारात

locationवाराणसीPublished: Mar 01, 2019 12:07:55 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

गंगा जमुनी की तहजीब वाली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सांढ बनारसी बनेंगे शिव तो बदरुद्दीन धरेंगे पार्वती का स्वरूप।

शिव बारात

शिव बारात

वाराणसी. इस बार काशी की महाशिवरात्रि पर निकलने वाली शिव बारात आतंकवाद के विरोध में सांप्रदायिक सौहार्द्ध को समर्पित होगी। वर्षों पुरानी गंगा जमुनी तहजीब की परंपरा को कायम रखते हुए इस दफा भी बारात के दूल्हा-दुल्हन यानी शिव-पार्वती स्वरूप में सांढ बनारसी और बदरुद्दीन अहमद होंगे।
बतादें कि शिव की नगरी काशी में शिवरात्रि का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भोले बाबा के दर्शन करने से जहां आत्मा को शांति मिलती है, वहीं सभी कष्टों का निवारण होता है। शिवरात्री के दिन बाबा का विवाह भी होता है और बकायदा बारात भी निकलती है। बारात में सभी देवी देवता, भूत पिसाच, जानवार, मदारी, बैंड-बाजा के साथ सज धज के निकलते हैं। मान्यता ये भी है कि जो लोग किन्हीं कारण बाबा के दर्शन नही कर पाते, वह बारात में शामिल हो जाते हैं और उन्हें वही पुण्य लाभ मिलता है जो विश्नाथ मंदिर में दर्शन से मिलता है।
इस बारात में सिर्फ देश से ही नही बल्कि विदेशों से भी शिव भक्त आते हैं और बाराती बनते हैं। बारात पुराणो में वर्णित शिव बारात के तर्ज पर निकलती है और पूरी दुनिया को काशी की मौज मस्ती का एहसास कराती है।
इस बार 04 मार्च दिन सोमवार को सायंकाल 07 बजे महामृत्युंजय मंदिरृ दारानगर से निकलेगी शिव बारात जो मैदागिन चौक दशाश्वमेध होते हुए विस्वनाथ मंदिर पहुचेगी।

शिव बारात के संयोजक दिलीप सिंह सिसोदिया ने पत्रिका को बताया कि इस बार की बारात आतंकवाद के खिलाफ और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए है। काशी अपनी गंगा जमुनी तहजीब, संस्कृतिक ताना-बाना के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है। हिंदू- मुस्लिम का चोली-दामन का रिश्ता रहा है। कुछ आतंकवादियों के चलते पूरी कौम को संदेह की निगाहों से देखना उचित नहीं है। अतांकवदियों के खिलाफ पूरा देश है। ऐसे में हम अपनी तहजीब, परंपरा और ताना-बाना के माध्यम से पूरे देश ही नहीं पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि पर निकलने वाली शिव बारात के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द्ध का संदेश देंगे।

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