-आधी रात के बाद ही लग गई थी कतार-मंगला आरती के बाद जैसे ही खुला पट, हुआ हर-हर महादे का उद्घोष-मंगला आरती में 250 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किया दर्शऩ
Kashi Vishwanath
वाराणसी. शिव की नगरी काशी में फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व इस वर्ष शिवयोग में 21 फरवरी शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शिव योग बनने से महाशिवरात्रि का महात्म्य अधिक हो गया है। शिवयोग का आरंभ 21 फरवरी की दोपहर एक बजकर 32 मिनट पर होगा। 22 फरवरी की दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर यह योग समाप्त होगा। ऐसे में इस महाशिवरात्रि को बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए काशी में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। आधी रात के बाद से ही कतार लग गई थी। बता दें कि इस बार महाशिवरात्रि को गर्भ गृह में दर्शऩार्थियों का प्रवेश निषेध है, जलाभिषेक के लिए द्वार पर ही विशेष पात्र लगाए गए हैं। उन पात्रों से जल सीधे शिवलिंग पर गिर रहा है। जलाभिषेक के बाद भक्त झांकी दर्शऩ कर रहे हैं।
आलम यह है कि दोपहर 12.30 बजे हुई भोग आरती तक ही 1.38 लाख शिवभक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शऩ-पूजन कर चुके थे। सुबह आठ बजे तक ही 75 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं का रेला मंदिर पहुंच चुका था, 10 बजे यह संख्या एक लाख को पार कर गई। इस बार की प्रशासनिक व्यवस्था के चलते आम श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा। मंगला आरती में महज 250 भक्त ही रहे।
IMAGE CREDIT: patrika गंगा घाट से लेकर बाबा दरबार तक आस्था का अनवरत रेला आधी रात से ही जारी है। बैरिकेडिंग पर आस्थावानों की भीड़ रात से ही उमड़ी और बाबा दरबार में कपाट खुलने का इंतजार किया। जैसे ही सुबह आरती के बाद दरबार खुला वैसे ही काशी विश्वनाथ की गलियां हर हर महादेव के घोष से गूंज उठीं। आधी रात के बाद से ही काशी के घाट क्षेत्र से लेकर बाबा दरबार तक हर-हर गंगे और बम-बम के नारों से काशी की गलियां गूंज उठीं तो आस्था का कोई ओर छोर नहीं रहा। आधी रात के बाद से ही गंगा में स्नान कर बाबा दरबार की ओर लाखों आस्थावानों के कदम बढ़े तो शुक्रवार को दिन चढ़ने तक आस्था की कतार बरकरार रही।
IMAGE CREDIT: patrika बाबा विश्वनाथ के अलावा महामृत्युंजय महादेव, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय स्थित विश्वनाथ मंदिर, तिल भांडेश्वर, रामकुंड स्थित रामेश्वर महादेव, सारनाथ के सारंगनाथ महादेव, जागेश्वर महादेव सहित सभी शिवालयों में शिवभक्तों की कतार सुबह से ही लग गई थी। इसमें महिला-पुरुष, बाल-वृंद सभी शामिल रहे। पूरा शहर हर-हर महादेव के उद्घाष से गुंजायमान हो रहा है। लोगों ने आज के दिन उपवास रखा है। घरों में भी लोगों ने शिव की आरधना की, दुग्ध, बिल्व पत्र, बेल, भांग-धतूरा, मदार की माला, कमलादि के पुष्प, अच्छत, चंदन-रोरी, अबीर- गुलाल आदि बाबा को समर्पित किया। भोग में बाबा के पसंद भांग और ठंडई का नैवेद्य भी चढ़ाया गया।
IMAGE CREDIT: पत्रिका बता दें कि महाशिवरात्रि पर चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी की मध्यरात्रि में शिव पूजन का विशेष महत्व है। इस काल को शास्त्रों में महानिशीथ काल कहा गया है। महानिशीथ काल 21 फरवरी की रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 22 फरवरी के 01 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. वेदमूर्ति शास्त्री के अनुसार काशी से ही प्रकाशित कुछ अन्य पंचांगों में महानिशीथ काल की गणना में दो से तीन मिनट का अंतर है। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि पर उपवास रखने और पूजन करने वाले को सूर्यास्त से पूर्व सिर्फ एक बार सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए।
IMAGE CREDIT: पत्रिका महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को स्मरण करने, उनका ध्यान करने के लिए भक्त को चाहिए कि वह शिव स्तुति, शिव सहस्रनाम, शिव महिम्नस्तोत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टकम, शिव पुराण आदि का पाठ करे। यदि उपक्त पाठ करने में किसी प्रकार की बाधा हो रही हो तो पंचाक्षरी मंत्र ‘नम:शिवाय’ का जप ही निरंतर करना चाहिए। महाशिवरात्रि में जागरण करना शास्त्रों में अनिवार्य बताया गया है।
महाशिवरात्रि आरंभ – 21 फरवरी शाम 05:22 बजे महाशिवरात्रि समापन -22 फरवरी शाम 07:03 बजे शिवयोग का आरंभ: 21 फरवरी 01:32 बजे शिवयोग का समापन: 22 फरवरी 03: 31 बजे महानिशीथ काल का आरंभ- 21 फरवरी रात्रि 12:09 बजे महानिशीथ काल का समापन- 22 फरवरी रात्रि 01:02 बजे