घर के अंदर पार्थिव शरीर के पहुंचते ही महिलाओं के करुण क्रंदन से माहौल और भी गमगीन हो गया। सभी की आंखें छलछला गईं।
मां का क्रंदन तो लोगों को हिला हिला दे रहा था। पत्नी माधवी हों या दोनों मासूम बच्चों की सूरत देख दिल खुद ब खुद भर भर आ रहा था।
बहनों वैष्णवी और वर्निका का भी रो-रो कर बुरा हाल था। बडे भाई विकास पांडेय ने बहनों को संभालने की कोशिश की पर वह खुद को नहीं रोक पाए और फफक-फफक कर रो पड़े।
15 मिनट तक ही घर पर रहा पार्थिव शरीर, फिर एयर फोर्स के लोग उसे लेकर सांस्कृतिक संकुल पहुंचे वहां से हरिश्चंद्र घाट के लिए रवानगी हुई। रात करीब 11.40 बजे हरिश्चंद्र घाट पहुंची शवयात्रा और 12.15 बजे छोटे भाई आकाश कुमार पांडेय ने मुखाग्नि दी। जैसे ही शहीद की चिता में आग लगी मौजूद लोग भी रो पड़े।