धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां की शक्ति जब भगवान शिव के साथ होती है तभी वह शिव बन पाते हैं। बिना शक्ति के शिव भी अधूरे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि भगवती की अराधना का कितना अधिक महत्व होता है। आम तौर पर लोग जानते हैं कि चैत्र व शरादीय नवरात्र में ही मां दुर्गा व पार्वती की पूजा करने से लाभ होता है जबकि ऐसा नहीं है। मार्सिक दुर्गाष्टमी ऐसा दिन होता है जब शक्ति की अराधना करने से वह प्रसन्न हो जाती है और आपके जीवन में आने वाली सभी कष्टों का हरण कर लेती है।
जानिए क्यों खास है मासिक दुर्गाष्टमी
प्रत्यके माह को शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिम दुर्गाष्टमी या दुर्गाष्टमी पड़ती है। इस बार 22 मई को यह तिथि पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार क्रूर राक्षम दुर्गम का तीनों लोक में खौफ था। मुनष्य से लेकर देवी व देवता तक परेशान थे। दुर्गम का वध करने े लिए प्रभु विष्णु, ब्रह्मा और भगवान शिव ने अपने शक्ति से माता दुर्गा को उत्पन्न किया । इसके बाद माता दुर्गा ने दुर्गम राक्षस का वध किया है। इसके बाद मां दुर्गा को दुर्गसैनी नाम से भी जाना जाता है। माता ने मासिक दुर्गाष्टमी के दिन ही दुर्गम राक्षस का वध किया था इसलिए मासिक दुर्गाष्टमी का खास महत्व हो जाता है।
प्रत्यके माह को शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिम दुर्गाष्टमी या दुर्गाष्टमी पड़ती है। इस बार 22 मई को यह तिथि पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार क्रूर राक्षम दुर्गम का तीनों लोक में खौफ था। मुनष्य से लेकर देवी व देवता तक परेशान थे। दुर्गम का वध करने े लिए प्रभु विष्णु, ब्रह्मा और भगवान शिव ने अपने शक्ति से माता दुर्गा को उत्पन्न किया । इसके बाद माता दुर्गा ने दुर्गम राक्षस का वध किया है। इसके बाद मां दुर्गा को दुर्गसैनी नाम से भी जाना जाता है। माता ने मासिक दुर्गाष्टमी के दिन ही दुर्गम राक्षस का वध किया था इसलिए मासिक दुर्गाष्टमी का खास महत्व हो जाता है।
मासिक दुर्गाष्टमी पर ऐसे करें माता दुर्गा को प्रसन्न
सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मां दुर्गा की पूजा करें। दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा दोनों में से किसी का पाठ किया जा सकता है। मां दुर्गा को लाल फूल चढ़ाने से भी प्रसन्न होती है। दीया, धूप चंदन आदि से भी मां की पूजा की जाती है। देवी के पसंद के फूल, केला, पान के पत्ते, लोंग , सूखे मेवे आदि चढ़ाये जाते हैं। इस दिन व्रत रखने से पूजा को अधिक फल मिलता है।
सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मां दुर्गा की पूजा करें। दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा दोनों में से किसी का पाठ किया जा सकता है। मां दुर्गा को लाल फूल चढ़ाने से भी प्रसन्न होती है। दीया, धूप चंदन आदि से भी मां की पूजा की जाती है। देवी के पसंद के फूल, केला, पान के पत्ते, लोंग , सूखे मेवे आदि चढ़ाये जाते हैं। इस दिन व्रत रखने से पूजा को अधिक फल मिलता है।
इस मंत्र के जाप से प्रसन्न हो जाती है मां भगवती
सर्व मंगलाय मांगल्ये, शिवे सर्वथा साधिके
सरन्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमस्तुते
इस मंत्र का जाप करने से भी भगवती प्रसन्न हो जाती है यदि आप दुर्गा चालीसा व दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पाते हैं तो उपर दिये गये मंत्र का १०८ बार जाप करने से भी भगवती को प्रसन्न किया जा सकता है। कहते हैं कि एक बार मां दुर्गा का साथ मिल जाता है तो सारे देवताओं का आशीर्वाद भी मिलना तय है। मां दुर्गा की शक्ति ऐसी होती है कि शत्रु भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। मां दुर्गा का आशीर्वाद मिल जाता है तो सारे ग्रह व नक्षत्र भी सही योग में आ जाते हैं और आपके बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं इसलिए मासिक दुर्गाष्टमी का बहुत ही धार्मिक महत्व है।
सर्व मंगलाय मांगल्ये, शिवे सर्वथा साधिके
सरन्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमस्तुते
इस मंत्र का जाप करने से भी भगवती प्रसन्न हो जाती है यदि आप दुर्गा चालीसा व दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पाते हैं तो उपर दिये गये मंत्र का १०८ बार जाप करने से भी भगवती को प्रसन्न किया जा सकता है। कहते हैं कि एक बार मां दुर्गा का साथ मिल जाता है तो सारे देवताओं का आशीर्वाद भी मिलना तय है। मां दुर्गा की शक्ति ऐसी होती है कि शत्रु भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। मां दुर्गा का आशीर्वाद मिल जाता है तो सारे ग्रह व नक्षत्र भी सही योग में आ जाते हैं और आपके बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं इसलिए मासिक दुर्गाष्टमी का बहुत ही धार्मिक महत्व है।