वाराणसी

गठबंधन करके भी अखिलेश नहीं निकल पाये मुलायम से आगे, मायावती ने कांशीराम से बड़ी लकीर खींची

पीएम व सीएम का भी मसला सुलझ गया, बीजेपी के लिए अब केन्द्र व प्रदेश की सत्ता पर कब्जा करना आसान नहीं होगा

वाराणसीJan 12, 2019 / 01:42 pm

Devesh Singh

Mayawati and Akhilesh Yadav

वाराणसी. अखिलेश यादव व मायावती ने गठबंधन का ऐलान करके यूपी में नये सियासी समीकरण का जन्म हो गया है। अखिलेश यादव गठबंधन करने के बाद भी मुलायम सिंह यादव से आगे नहीं निकल पाये। जबकि मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम से बड़ी लकीर खींच कर खुद को बड़ा नेता बना दिया है।
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यूपी में 1991 में बीजेपी ने विधानसभा की 221 सीट जीत कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी। यूपी में सीएम की जिम्मेदारी कल्याण सिंह को सौंपी गयी थी। कल्याण सिंह की सरकार के समय ही अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया था उसके बाद कल्याण सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। 1993 में यूपी में फिर से विधानसभा चुनाव हुआ था। बीजेपी के पास राम लहर की ताकत थी। बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए बसपा संस्थापक कांशीराम व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पहली बार गठबंधन किया था। 1993 मे यूपी की 422 विधानसभा पर सपा व बसपा ने गठबंधन करके चुनाव जीता था। बसपा को 164 सीट दी गयी थी जबकि बसपा से बड़ी पार्टी सपा बनी थी और सपा के खाते में 256 सीट आयी थी। बसपा को 164 में से 67 सीट पर जीत मिली थी जबकि सपा को 256 सीट में 109 पर जीत मिली थी। सपा व बसपा गठबंधन के पास कुल 176 विधानसभा सीट हो गयी थी। सपा व बसपा गठबंधन करके भी बीजेपी से अधिक सीट नहीं जीत पाये थे इसकी मुख्य वजह राम मंदिर मुद्दा था इस चुनाव में बीजेपी ने 177 सीट जीती थी। सपा व बसपा ने अन्य दलों से समर्थन जुटा कर सरकार बनायी थी और मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसी समय यूपी की राजनीति में मायावती की इंट्री हुई थी और कांशीराम ने मायावती को यूपी प्रभारी बनाया था। मायावती के निर्देशों के चलते ही सपा व बसपा में तकरार बढ़ गयी थी। 2 जून 1995 को बसपा ने सपा से समर्थन वापसी का ऐलान किया था और उसी दिन मायावती के साथ गेस्ट हाउस कांड हुआ था उसके बाद बीजेपी ने समर्थन देकर मायावती को यूपी को सीएम बना दिया था। इसके बाद अब जाकर सपा व बसपा में फिर से गठबंधन किया है।
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जानिए मुलायम सिंह से क्यों नहीं आगे निकल पाये अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो ने खींची कांशीराम से बड़ी लकीर
यूपी में सपा व बसपा हमेशा एक-दूसरे को बड़ी मानती आयी है। गठबंधन में सपा व बसपा को बराबर 38-38 सीट मिली है जबकि दो सीट गांधी परिवार व दो सीट अन्य दलों के लिए छोड़ी गयी है। यदि कोई अन्य दल भी गठबंधन में शामिल हो सकता है तो सपा अपने कोटे से उस दल को सीट दे सकती है। मुलायम सिंह यादव व कांशीराम में जब गठबंधन हुआ था तो मुलायम सिंह यादव को गठबंधन के तहत अधिक सीट मिली थी जबकि यह जादू अखिलेश यादव नहीं दोहरा पाये। ऐसे में मुलायम सिंह यादव से आगे अखिलेश यादव नहीं निकल पाये। कांशीराम को कम सीट पर ही संतोष करना पड़ा था जबकि मायावती ने सीट को बराबर करके बसपा संस्थापक कांशीराम से बड़ी लकीर खींच दी है।
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