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एक बार फिर आमने-सामने हो सकते हैं मायावती व राजा भैया, अखिलेश यादव बनायेंगे दूरी

locationवाराणसीPublished: Dec 24, 2018 01:27:01 pm

Submitted by:

Devesh Singh

लोकसभा चुनाव में होगा निर्णय, कांग्रेस भी रेस में शामिल

Raja Bhaiya, Mayawati and Akhilesh Yadav

Raja Bhaiya, Mayawati and Akhilesh Yadav

वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर बाहुबली राजा भैया व मायावती आमने-सामने आ सकते हैं। यूपी में पीएम नरेन्द्र मोदी को रोकने के लिए राहुल गांधी, मायावती व अखिलेश यादव ने महागठबंधन बनाने का ऐलान किया है तो दूसरी तरफ राजा भैया ने अपनी पार्टी जनसत्ता दल बनायी है और अपने चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। लोकसभा चुनाव 2014 में इस सीट पर अपना दल ने विजय हासिल की थी और दूसरे नम्बर पर बसपा प्रत्याशी थे ऐसे में महागठबंधन में यह सीट बसपा को मिल सकती है यदि ऐसा हुआ तो एक बार फिर राजा भैया व मायावती आमने-सामने आ जायेंगे।
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राजा भैया पहली बार अपनी पार्टी के सिबंल पर लोकसभा चुनाव 2019 में अक्षय प्रताप सिंह को लड़ायेंगे। इस सीट पर टिकट के लिए कांग्रेस की प्रत्याशी रही राजकुमारी रत्ना सिंह भी प्रबल दावेदार हैं। महागठबंधन में कांग्रेस को कितनी सीट मिलती है इसके आधार पर ही कांग्रेस प्रत्याशी का चयन करेगी। कांग्रेस को कम सीट मिलती है तो प्रतापगढ़ की सीट बसपा के खाते में चली जायेगी। ऐसा होने पर बसपा को इस सीट पर ताकत दिखाने का मौका मिलेगा। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व राजा भैया के संबंध को देखते हुए इस सीट को लेकर अखिलेश यादव दूरी बना सकते हैं। अधिक संभावना है कि बसपा ही इस सीट पर प्रत्याशी उतार कर राजा भैया के लिए चुनौती पेश करे।
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2014 में बसपा तो 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी को मिली थी जीत
प्रतापगढ़ सीट पर अपना दल के हरिवंश सिंह सांसद है। वर्ष 2014 में दूसरे नम्बर पर बसपा के आसिफ निजामुद्दीन सिद्दीकी थी। 2009 की बात की जाये तो कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह को इस सीट से जीत मिली थी। इस साल भी बीजेपी दूसरे नम्बर पर थी। जबकि 2004 में राजा भैया के चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को सपा ने प्रत्याशी बनाया था और अक्षय प्रताप सिंह ने चुनाव भी जीता था।
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राजा भैया की नयी पार्टी बनाते ही बदल गया समीकरण
राजा भैया के नयी पार्टी बनाते ही सारा समीकरण बदल गया है। राजा भैया ने कुंडा से लगातार सात बार विधायक का चुनाव जीता है। राजा भैया को कभी बीजेपी का अघोषित समर्थन मिलता था तो कभी शिवपाल यादव व मुलायम सिंह यादव से नजदीकी काम आती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है। बीजेपी के साथ सपा भी अघोषित रूप से राजा भैया को समर्थन नहीं देने वाली है ऐसे में राजा भैया को अपने प्रत्याशी जीताने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। बसपा को यह सीट मिल जाती है और सपा के कैडर वोटर भी साथ आ जाते हैं तो प्रतापगढ़ में राजा भैया के चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह का चुनाव जीतना कठिन हो जायेगा।
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