वाराणसी

मायावती ने यूं ही नहीं किया है हमला, कांग्रेस से बसपा को सबसे अधिक नुकसान

जानिए वो कारण जो मायावती को परेशानी में डाल रहा, लोकसभा चुनाव 2019 में फिर बना नया समीकरण

वाराणसीMar 19, 2019 / 12:02 pm

Devesh Singh

Mayawati and Priyanka Gandhi

वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 में नया समीकरण बन रहा है। यूपी की राजनीति में प्रियंका गांधी की इंट्री होने के बाद से बसपा सबसे अधिक परेशान है। कांग्रेस ने बिना कुछ कहे ही बसपा के कैडर वोटरों में सेंधमारी शुरू कर दी है जबकि सपा को लेकर नरम रूख अपनाया हुआ है। कांग्रेस की नयी रणनीति से परेशान मायावती लगातार हमलावर हो गयी है, जिसका जवाब देने से प्रियंका गांधी पीछे नहीं हट रही है।
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यूपी में पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह को जोड़ी को पटखनी देने के लिए महागठबंधन बनाने की वकालत हुई थी जमीन पर जब महागठबंधन उतरा तो कांग्रेस उसमे से गायब थी। अखिलेश यादव व मायावती ने रालोद के साथ महागठबंधन बनाया और राय बरेली व अमेठी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतराने का ऐलान कर कांग्रेस को थोड़ी राहत दी थी। कांग्रेस ने यूपी में खुद को मजबूत करने के लिए प्रियंका गांधी की राजनीति में इंट्री करायी। इसके बाद से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह आसमान पर पहुंच गया। प्रियंका गांधी के भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर से भेंट करने के बाद से यूपी की राजनीति बदल गयी। मायावती हमलावर हुई और बयान दिया कि देश में कभी भी वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं कर रही है। इसके बाद कांग्रेस ने मुलायम सिंह यादव व उनके परिवार के साथ बसपा सुप्रीमो की सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतराने की बात कही थी इस पर भी बसपा ने पलटवार किया था कहा था कि महागठबंधन अकेले ही बीजेपी को हराने में सक्षम है कांग्रेस भ्रम न फैलाये। इसके बाद प्रियंका गांधी ने बसपा सुप्रीमो की बात का जवाब देते हुए कहा था कि हम कन्फ्यूज नहीं है। हमारी लड़ाई भी बीजेपी से है। कांग्रेस एक तरफ बसपा के हमलों का जवाब दे रही है तो दूसरी तरफ सपा को लेकर नरम रवैया अपनाया हुआ है। अखिलेश यादव भले ही हर बात में बसपा का ही साथ दे रही है फिर भी कांग्रेस ने सपा को टार्गेट नहीं कर नयी रणनीति का संकेत दिया है।
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किसी दल को नहीं मिला बहुमत तो पीएम पद के लिए कांग्रेस व बसपा हो सकती है आमने-सामने
बसपा से कांग्रेस की लड़ाई के दो बड़े कारण है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने वर्षो पुरानी दुश्मनी को भूलते हुए सपा से गठबंधन किया है जिसका मुख्य कारण है कि लोकसभा चुनाव में यूपी में अधिक से अधिक सीट जीत कर पीएम पद पर अपना दावा ठोका जाये। यूपी में भले ही कांग्रेस कमजोर दिख रही है लेकिन देश के अन्य राज्यों की संसदीय सीट पर अच्छा प्रदर्शन करके कांग्रेस भी राहुल गांधी को पीएम बनने की लड़ाई लड़ सकती है। ऐसे में बसपा सुप्रीमो मायावती नहीं चाहती है कि वह इस रेस में पिछड़े। इसके चलते ही वह कांग्रेस पर लगातार हमलावर होकर अपनी भूमिका को बढ़ाना चाहती है। कांग्रेस ने बसपा के कैडर वोटर जाटव में सेंधमारी को लेकर बड़ा दांव खेला है जिसमे भीम आर्मी चीफ का सहयोग मिल सकता है ऐसे में मायावती कभी नहीं चाहेंगी कि यूपी में कांग्रेस मजबूत होकर बसपा को कमजोर करे।
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पूर्वांचल में प्रत्याशियों का चयन भी पड़ रहा है बसपा पर भारी
बसपा ने घोसी सीट से बालकृष्ण चौहान को प्रत्याशी बनाया है जो बसपा से पूर्व सांसद थे और पार्टी ने उन्हें हाल में निकाला था। इस सीट पर चौहान वोटर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते आये हैं। अभी तक बसपा व बीजेपी के बीच बंटे इन वोटरों के लिए कांग्रेस तीसरा विकल्प बन सकती है , जिसकी मुख्य वजह बालकृष्ण चौहान का बसपा में जाना है। गाजीपुर से बसपा के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा का कांग्रेस समर्थन से प्रत्याशी बनना तय है यहां पर कुशवाहा वोट बैंक पहले बसपा के पाले में जाता था लेकिन अब समीकरण बदल सकते हैं। प्रतापगढ़ सीट बसपा के खाते में आयी है और यहां पर कांग्रेस ने राजकुमारी रत्ना सिंह को प्रत्याशी बनाने के बाद अपना दल कृष्णा पटेल गुट से गठबंधन किया है जिसका नुकसान भी इस सीट पर बसपा को उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस की सभी रणनीति बसपा पर भारी पड़ रही है लेकिन सपा को नुकसान होता नहीं दिख रहा है। इसकी एक वजह लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम आने के बाद कांग्रेस को जरूरत पड़े तो सपा को समर्थन मिल जाये भी है।
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