राहुल गांधी, अखिलेश यादव व मायावती मिल कर यूपी में महागठबंधन बनाना चाहते हैं। तीनों ही दल का एकमात्र लक्ष्य है कि पीएम नरेन्द्र मोदी को चुनाव हराया जाये। केन्द्र से पीएम मोदी सरकार चली जायेगी तो यूपी से सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार को कमजोर करके खत्म करना आसान होगा। पहले तक महागठबंधन व बीजेपी की लड़ाई में तीसरा दल कही नहीं थी लेकिन शिवपाल यादव के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाते ही सारा समीकरण बदल गया। मुलायम सिंह यादव के खास रहे लोग भी सपा छोड़ कर शिवपाल यादव के साथ चलने लगे हैं। सपा पहले से कमजोर हो गयी थी और शिवपाल यादव समीकरण से पार्टी को जबरदस्त नुकसान पहुंच रहा है। सपा के कमजोर होते ही बसपा की ताकत बढऩे लगी है।
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जानिए कैसे बसपा को मजबूत कर रहे शिवपाल यादव
यूपी में महागठबंधन में उसी दल को सबसे अधिक संसदीय सीट मिलने वाली है जिस दल की ताकत अधिक होगी। लोकसभा चुनाव 2014 की बात की जाये तो बसपा के पास एक भी सांसद चुनाव नहीं जीते। यूपी चुनाव 2017 में बसपा की ताकत सपा से कम हो गयी थी लेकिन महागठबंधन में सबसे अधिक सीट बसपा को ही चाहिए। जो दल पहले से कमजोर था वह अन्य दलों पर सबसे अधिक सीट देने का दबाव बना रहा है जो सफल भी होने वाला है। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा संसदीय व यूपी विधानसभा दोनों ही चुनाव हार चुकी है। अखिलेश यादव पर अब जबरदस्त दबाव है यदि एक और चुनाव अखिलेश की पार्टी हार जाती है तो सपा में जबरदस्त बिखराव हो सकता है यह बात अखिलेश यादव जानते हैं इसलिए कम सीट पर चुनाव लडऩे की बात कह कर बसपा से गठबंधन करने में जुटे हुए हैं। शिवपाल यादव के अलग होते ही बसपा की ताकत बढ़ गयी है। बसपा सुप्रीमो की मांग मानना अब अखिलेश यादव की विवशता हो गयी है क्योंकि वह जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के साथ शिवपाल यादव की पार्टी को भी पटखनी देनी है यह तभी संभव होगा जब बसपा से गठबंधन हो। शिवपाल यादव की ताकत जितना बढ़ेगी। उतना ही सपा कमजोर होगी और बसपा को फायदा पहुंचेगा। इस तरह शिवपाल यादव अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं जिससे बसपा मजबूत हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यूपी में बसपा को सबसे शक्तिशाली दल बनाने का जो सपना देखा था वह भी पूरा होने वाला है। फिलहाल की बात की जाये तो यूपी की राजनीति में बसपा ऐसी पार्टी बन कर उभर रही है जिससे गठबंधन किये बिना कांग्रेस व सपा दोनों का ही भला होता नहीं दिख रहा है।
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यूपी में महागठबंधन में उसी दल को सबसे अधिक संसदीय सीट मिलने वाली है जिस दल की ताकत अधिक होगी। लोकसभा चुनाव 2014 की बात की जाये तो बसपा के पास एक भी सांसद चुनाव नहीं जीते। यूपी चुनाव 2017 में बसपा की ताकत सपा से कम हो गयी थी लेकिन महागठबंधन में सबसे अधिक सीट बसपा को ही चाहिए। जो दल पहले से कमजोर था वह अन्य दलों पर सबसे अधिक सीट देने का दबाव बना रहा है जो सफल भी होने वाला है। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा संसदीय व यूपी विधानसभा दोनों ही चुनाव हार चुकी है। अखिलेश यादव पर अब जबरदस्त दबाव है यदि एक और चुनाव अखिलेश की पार्टी हार जाती है तो सपा में जबरदस्त बिखराव हो सकता है यह बात अखिलेश यादव जानते हैं इसलिए कम सीट पर चुनाव लडऩे की बात कह कर बसपा से गठबंधन करने में जुटे हुए हैं। शिवपाल यादव के अलग होते ही बसपा की ताकत बढ़ गयी है। बसपा सुप्रीमो की मांग मानना अब अखिलेश यादव की विवशता हो गयी है क्योंकि वह जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के साथ शिवपाल यादव की पार्टी को भी पटखनी देनी है यह तभी संभव होगा जब बसपा से गठबंधन हो। शिवपाल यादव की ताकत जितना बढ़ेगी। उतना ही सपा कमजोर होगी और बसपा को फायदा पहुंचेगा। इस तरह शिवपाल यादव अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं जिससे बसपा मजबूत हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यूपी में बसपा को सबसे शक्तिशाली दल बनाने का जो सपना देखा था वह भी पूरा होने वाला है। फिलहाल की बात की जाये तो यूपी की राजनीति में बसपा ऐसी पार्टी बन कर उभर रही है जिससे गठबंधन किये बिना कांग्रेस व सपा दोनों का ही भला होता नहीं दिख रहा है।
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