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RBI सर्वे में दावा, मोदी सरकार में रोजगार की हालत सबसे खराब, जानिय़े इस एक्सपर्ट ने क्या कहा

locationवाराणसीPublished: Oct 06, 2019 08:23:08 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

जैन ने कहा कि देश को इससे घबराने की जरूरत नहीं

RBI REPORT

जैन ने कहा कि देश को इससे घबराने की जरूरत नहीं

वाराणसी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश में रोजगार की स्थिति को लेकर जो नया सर्वे किया है वो मोदी सरकार के लिए खुशी की खबर नहीं है। सितंबर माह के लिए जारी अपने कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में आरबीआई ने पाया है कि देश के 52.5 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत में नौकरी के हालात पहले की अपेक्षा मोदी सराकर में खराब हुए हैं। वहीं देश की अर्थव्यवस्था को लेकर आरबीआई की ओर से बताया है कि 47.9 परिवारों को लगता है कि दिसंबर 2013 के बाद से ही देश के अर्थव्यवस्था की हालत लगातार खराब होती गई है। इस सर्वे के बाद जहां विपक्ष के लोग सरकार पर कटाक्ष करने से बाज नहीं आ रहे हैं तो वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भी इसको लेकर खूब चर्चा है। अर्थशास्त्री एके जैन ने कहा कि देश को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। आने वाले दिनों में स्थिति बहुत मजबूत होगी।
दुनियां में मंदी का असर भारत पर पड़ा

अर्थशास्त्री एके जैन ने कहा कि भारत में रोजगार और जीडीपी मे कमी से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन इसके सुधार के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। उन्होने कहा कि पूरी दुनियां मंदी की चपेट में है और उसके अपेक्षा भारत मजबूत दिशा में काम कर रहा है।

बढ़ानी होगी डिमांड

अर्थशास्त्री एके जैन कहते हैं कि लोगों के जरूरतों के हिसाब से बाजार को बढ़ाना होगा। जब बाजार डिमांड को समझेंगे तब सफलता हर हाल में मिलेगी। लोगों के जरूरत के हिसाब से बाजार बेहतर होगा। कहा कि सरकार औद्योगिक सेक्टर को टैक्ट में राहत देकर बेहतर कदम उठाया है। प्राइवेट सेक्टर का खयाल रखकर ही रोजगार और जीडीपी को बढाया जा सकता है।
वेतन को लेकर भी हैरानी भरी रिपोर्ट

वहीं आरबीआई सर्वे में जो बात सामने आई है उसके मुताबिक 27.7 फीसदी लोगों का कहना है कि उनका वेतन पहले की तुलना में घटा है। सर्वेक्षण में 30.1 फीसदी परिवारों ने माना कि उन्हें गैर-जरूरी खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है। जबकि 26 फीसदी सोचते हैं कि भविष्य में भी उन्हें खर्चों में कटौती करनी पड़ेगी।
कहां-कहा किया गया सर्वे

आरबीआई की ओर से यह सर्वेक्षण देश के 13 बड़े शहरों के 5,192 घरों में किया गया है। जिन शहरों में इस सर्वेक्षण को किया गया है, उनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूरु, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, पटना, त्रिवेंद्रम, भोपाल और गुवाहाटी जैसे शहर शामिल हैं।
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