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BHU छात्राओँ के आगे झुका विश्वविद्यालय प्रशासन, आरोपी प्रोफेसर को लंबी छुट्टी पर भेजा

locationवाराणसीPublished: Sep 15, 2019 09:43:14 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

BHU प्रशासन की अधिकृत घोषणाBHU के आरोपी प्रोफेसर की बर्खास्गी का मुद्दा कार्यकारिणी परिषद में रखने का फैसलाकार्यकारिणी के निर्णय पर होगी अग्रिम कार्रवाई

बीएचयू की आंदोलित छात्राएं

बीएचयू की आंदोलित छात्राएं

वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के आरोपी प्रोफेसर को लंबी छुट्टी पर भेजने का फैसला लिया है। छात्र-छात्राओं के आंदोलन के बाद रविवार शाम कुलपति और आंदोलित छात्र-छात्राओं के साथ ही वार्ता के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने घोषित किया कि आरोपी प्रोफेसर की बर्खास्तगी का मुद्‍दा कार्यकारिणी परिषद के समक्ष पुनर्विचार के लिए पुनः प्रस्तुत किया जाएगा तथा जब तक कार्यकारिणी परिषद इस मामले पर पुनर्विचार करे तब तक के लिए आरोपी प्रो शैल कुमार चौबे को लम्बी छुट्‍टी पर जाने हेतु आदेश पारित कर दिया गया है। यह जानकारी विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ राजेश सिंह ने दी।
बता दें कि आरोपी प्रोफेसर की बर्खास्तगी की मांग को लेकर छात्र-छात्राएं दो दिन से विश्वविद्यालय गेट पर धरना दे रहे थे। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पीआरओ डॉ सिंह की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के कुछ विद्यार्थी कतिपय बाहरी तत्वों के साथ मिलकर विश्‍वविद्यालय के मुख्य द्वार पर आवागमन को बाधित कर धरने पर बैठे हुए हैं। इससे न केवल विश्‍वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल को क्षति पहुंच रही है बल्कि शहर के आमजनो, मुख्य रुप से सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में चिकित्सा के लिए आने वाले मरीजों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। धरना पर बैठे लोगों की मांग है कि प्रो शैल कुमार चौबे, जन्तु विज्ञान विभाग, काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय, जिनपर विगत दिनों जन्तु विज्ञान विभाग के कुछ छात्राओं द्वारा लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की गयी थी, को विश्‍वविद्यालय सेवा से बर्खास्त कर दिया जाय।
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डॉ सिंह ने बताया है कि पूर्व में काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के जन्तु विज्ञान विभाग की कुछ छात्राओं द्वारा प्रो शैल कुमार चौबे पर की गयी लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत पर विश्‍वविद्यालय की आंतरिक जांच समिति द्वारा जांच की गयी थी तथा समिति के रिपोर्ट को विश्‍वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद द्वारा विचार किये जाने के उपरांत प्रो शैल कुमार चौबे को “सेन्श्योर” की सजा दी गयी । इसके अतिरिक्‍त उन्हें भविष्य में इस प्रकार के सभी गतिविधियों के दायित्वों से मुक्‍त रखने का आदेश दिया गया है। उन्हें दी गयी उपरोक्‍त सजा उनके सेवा अभिलेख में भी दर्ज किया गया है।
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उन्होने बताया कि इस मुद्‍दे की गंभीरता के मद्‍देनज़र इस पर विचार करने हुये आज विश्‍वविद्यालय प्रशासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि उक्‍त मामले को कार्यकारिणी परिषद के समक्ष पुनर्विचार हेतु पुनः प्रस्तुत किया जायेगा तथा जब तक कार्यकारिणी परिषद इस मामले पर पुनर्विचार करे तब तक के लिये प्रो शैल कुमार चौबे को लम्बी छुट्‍टी पर जाने के लिए आदेश पारित कर दिया गया है।
विश्‍वविद्यालय में सेक्शुअल हैरास्मेंट के मामलों के रोकथाम हेतु “उच्‍चतर शैक्षिक संस्थानों में महिला कर्मचारियों एवं छात्रों के लैंगिक उत्पीड़न के निराकरण, निषेध एवं इसमें सुधार विनियम” के अंतर्गत स्थापित विभिन्‍न दिशा-निर्देशों को पहले ही विश्‍वविद्यालय के समस्त विभागों में अधिसूचित कर दिया गया है। इन दिशा-निर्देशों को सभी विभागों के सूचना पट्‍ट पर लगाने हेतु इसे पुनः अधिसूचित किया जायेगा।
“उच्‍चतर शैक्षिक संस्थानों में महिला कर्मचारियों एवं छात्रों के लैंगिक उत्पीड़न के निराकरण, निषेध एवं इसमें सुधार विनियम” के प्रावधानों के अनुरुप विश्‍वविद्यालय में पहले से ही आंतरिक शिकायत समिति कार्यान्वित है जिसमें विश्‍वविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के अतिरिक्‍त गैर शासकीय संगठनों के प्रतिनिधि सदस्य के रुप में शामिल है। इसके अतिरिक्‍त पूर्व से ही विश्‍वविद्यालय के सभी संकायों में तथा विश्‍वविद्यालय स्तर पर महिला शिकायत निवारण प्रकोष्‍ठ सक्रियतापूर्वक कार्य कर रहे है।
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कुलपति ने पुनः यह कहा है कि विश्‍वविद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार के लैंगिक भेदभाव अथवा उत्पीड़न की घटनाओं के प्रति संवेदनशील है तथा इन प्रकार की घटनाओं को बर्दाश्‍त नही किया जायेगा।
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