जबकि यह जिला वीवीआईपी जिलों में गिना जाता है।
मुलायम सिंह यादव यहां के सांसद है और योगी सरकार के डिप्टी सीएम
केशव प्रसाद मौर्य यहां के प्रभारी मंत्री। इसके बाद भी वूमेन पावरलाइन-1090 के आकडों के मुताबिक छेड़खानी के मामलों में यह जिला प्रदेश के टाप-10 जिलों में 9वें नंबर पर है। आजमगढ़ में सोहदे न केवल कानून व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं बल्कि इनकी वजह से सांप्रदायिक खराब हो चुका है।
9 जून 2017 को निजामाबाद थाना छेत्र के दाऊदपुर हरिजन बस्ती की छात्राओं के साथ छेड़खानी को लेकर हिंसा हुई तो 20 अक्टूबर 2017 को जीयनपुर कोतवाली क्षेत्र के दाउदपुर गांव में प्रतिमा विर्सजन के दौरान छेड़खानी को लेकर सांप्रदायिक हिंसा हुई। बवाल बढ़ा तो पुलिस को हरकत में आना पड़ा। इस घटना में दारोगा और दो सिपाहियों के निलंबन के बाद मामला शांत हुआ। छोटी मोटी घटनाएं यहां के लिए आम हो चुकी है।
अभी हाल में सिधारी थाना क्षेत्र के बेलइसा नीबी मार्ग पर स्थित बसपा नेता के पीजी कालेज के पास प्रबंधक और सोहदों से विवाद हुआ था। यहां जमकर फायरिंग भी हुई थी। इसमें दो राय नहीं कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद पुलिस कानून व्यवस्था को लेकर संजीदा हुई है। आजमगढ़ में आधा दर्जन पुलिस मुठभेड़ और इंन्काउंटर के बाद बड़े अपराध कम हुए है लेकिन छेड़खानी पर पुलिस और एंटी रोमियो दल पूरी तरह फेल है। सच कहे तो इस दल के औचित्य पर ही सवाल खड़ा होने लगा है।
आजमगढ़ मंडल में हुई वारदातों पर गौर करें तो वूमेन पावरलान के मुताबिक आजमगढ़ में छेड़खानी की 4075 घटनाएं हुई। यूपी में छेड़खानी के मामले में यह जिला नौवे पायदान पर है। मंडल के बलिया और मऊ जिले टाप टेन की सूची से बाहर है लेकिन यहां भी यह अपराध कम नहीं है। मऊ में छेड़खानी के 1659 तथा बलिया में 2512 मामले पंजीकृत किये गये है।