हम सुख और आनंद दोनो को एक ही मान लेते हैं जो गलत है। सुख और आनंद दोनो अलग अलग है। हमें सुख तो मिलता है लेकिन आनंद नही मिलता है। सुख उसे कहते है जहां दुख दब जाय और आनंद उसे कहते है जहां दुख दूर हो जाय। जहां दुख जड़ से मिट जाये वही आनंद है। वर्तमान का आनंद लें जिसे मृत्यु का आनंद लेना है उसे सुमिरन बढाना चाहिए। मरण मीठा है और विवेकी आदमी वह है जो हंसते हंसते कबूल करे। भूत वह है जो भूतकाल का शोक करे और प्रेत वो है जो भविष्य की चिंता करे। सृष्टि के साथ ही हम सब भूत है। जाग्रत व्यक्ति के लिए विवेक होना चाहिए। पनघट जीवन का प्रतीक और मरघट मृत्यु का प्रतीक है। दोनो शब्द ब्रह्म है, नाम भेद है लेकिन तत्व एक ही है। श्मशान हमारे लिए पितृ गुरू है जो हमारे माता पिता शिव पार्वति का घर है।
मानस कथा हमें शांति देती है और मानस की प्रत्येक चैपाई एक मंत्र है। मानस परस्पर स्नेह का आदान प्रदान करता है। स्कन्द पुराण के काशी काण्ड में इसकी विस्तृत चर्चा की गई हैं। तारक मंत्र सिर्फ और सिर्फ महादेव शिव के पास है। ऐसा माना जाता है कि जब आदमी मरता है तब उसका दायां कान ऊंचा हो जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव तारक मंत्र देते है जिससे उसकी मुक्ति हो जाती है। तारक मंत्र से जाती हुई आत्मा को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है।
शास्त्रों में वैदिक और पौराणिक यज्ञ का उल्लेख मिलता है। मसान एक परम यज्ञ है। यज्ञ पहले महायज्ञ बनता है और बाद में परम यज्ञ बनता है। परम यज्ञ के सात सूत्र होते है। जहां अग्नि हो, समिधि हो, शांति हो, मंत्र हो, घृत हो, बलिदान हो और निर्दम हो वहां परम यज्ञ होता है। जिस घर में शांति हो, विवेक की अग्नि हो, कुतर्क, दंभ, पाखण्ड की समिधि हो, सुबह शाम प्रार्थना हो, परस्पर स्नेह रूपी घी हो तो उस घर में परम यज्ञ होता है। ममता तो हो लेकिन ममता का बलिदान भी हो।
मोरारी बापू की रामकथा में देश विदेश के विभिन्न शहरों सहित उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराश्ट, मध्यप्रदेष के अलग अलग हिस्सों से आये श्रद्धालु यहां आनंद रस लूट रहे है। वही उत्तरांचल के देहात से आता जनसैलाब भी कथा सागर में समाकर संस्कृतियो का मेल करा रहा है। कही ठेठ बनारसी बोली कानों में गूंज रही है तो कही गुजराती, मराठी व मेवाती प्रभु प्रसंगों की चर्चा का जरिया बनी हुई है। संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित रामकथा में दूसरे दिन रविवार को कथा के मुख्य आयोजनकर्ता मदन पालीवाल, टस्टी प्रकाष पुरोहित, रवीन्द्र जोशी, रूपेश व्यास, विकास पुरोहित, मंत्रराज पालीवाल, सतुआ बाबा सहित कई गणमान्य अतिथियों ने व्यासपीठ पर पुष्प अर्पित किए तथा कथा श्रवण का लाभ लिया।
फिल्म अभिनेता मकरंद देशपांडे सोमवार को वाराणसी आएंगे। वह रामकथा के तहत आयोजित सांस्कृतिक सध्या में अपने नाटक ‘मा इन ट्रांजिट’ का अभिनय करेंगे। कवि सम्मेलन कल
दिनेश रघुवंशी, अनिल अग्रवंशा, गौरव शर्मा, सदीप भोला, बुद्धिप्रकाश दाधीच सहित कई कविगण अपनी काव्य रचनाओं की प्रस्तुति देंगे।
कथा श्रवण के लिए आने वाले श्रोताओं को गंगा किनारे अस्सी घाट, दशाश्वमेघ घाट, मणिकर्णिका घाट, गाय घाट और राज घाट से कथा स्थल तक आने जाने के लिए नाव की व्यवस्था की गई है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान सांयकाल को नावों का संचालन नही किया जायेगा।