scriptकाशी के अस्सी घाट के सामने गंगा में छोड़ी गईं 2 लाख से अधिक मछलियां | More than 2 lakh fishes released in Ganges in front of Assi Ghat of Kashi | Patrika News
वाराणसी

काशी के अस्सी घाट के सामने गंगा में छोड़ी गईं 2 लाख से अधिक मछलियां

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी रिवर रैंचिंग प्रोग्राम के तहत दो लाख से अधिक मछलियां अस्सी घाट के सामने गंगा में प्रवाहित किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मछलियों और नदियों के संरक्षण में सरकार के साथ-साथ समाज भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे।

वाराणसीAug 19, 2022 / 05:13 pm

Ajay Chaturvedi

काशी के अस्सी घाट के सामने  गंगा में मछली छोड़ते केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला

काशी के अस्सी घाट के सामने गंगा में मछली छोड़ते केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला

वाराणसी. केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी रिवर रैंचिंग प्रोग्राम के तहत दो लाख से ज्यादा मछलियों के बड़े आकार के बच्चे अस्सी घाट के सामने गंगा में छोड़े। इस मौके पर उन्होंने आमजन से मछलियों और नदियों के संरक्षण में सरकार के साथ-साथ समाज भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
मंत्री बोले गंगा स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझें लोग

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने आमजन से गंगा की स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझने का आह्वान किया। कहा किसी तरह का केमिकल, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी सामग्री, शैंपू, सर्फ, साबुन आदि की पुड़िया को गंगा में प्रवाहित न करें। इससे न केवल गंगा प्रदूषित होती हैं बल्कि गंगा जल में पहले वाले जीवों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अस्सी घाट पर आयोजित कार्यक्रम में काशी के अस्सी घाट के सामने गंगा में मछली छोड़ते केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला
गंगा में छोड़ी जा चुकी हैं 56 लाख मछलियां

इस मौके पर केंद्रीय अंर्तस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर के निदेशक और नमामि गंगे परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. बसंत कुमार दास ने बताया कि परियोजना के तहत चार अलग-अलग राज्यों को कवर किया गया। इसके अंतर्गत अब तक 56 लाख से अधिक देसी गंगा कार्प (रोहू, कतला और मृगल) फिंगरलिंग (मछलियों के बड़े बच्चे) गंगा में छोड़े जा चुके है। इसका उद्देश्य गंगा की जैव विविधता को अक्षुण्ण रखना है।
नदी के स्वच्छ रहने का लाभ मछुआरों को
मत्स्य विज्ञान के उप महानिदेशक डॉ. जेके जेना ने कहा कि कालबासु, कतला, मृगल और रोहू जैसी मछलियां गंगा नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद करेंगी। बताया कि इस कार्यक्रम में स्थानीय मछुआरों को गंगा नदी में पाई जाने वाली मछलियों और डॉल्फिन के स्वास्थ्य व संरक्षण के बारे में जागरूक किया गया है। नदी प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ रहेगी तो उसका एक बड़ा लाभ स्थानीय मछुआरों को मिलता है।
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