वाराणसी. तमिलनाडु की सीएम जयललिता के निधन ने जहां तमिलनाडु के लोगों झकझोर दिया है। हर कोई शोकाकुल है। रो-रो कर बुरा हाल है उनका। आखिर जयललिता जिन्हें वे प्यार से अम्मा कहते थे। अम्मा जिन्होंने उन्हें प्यार दिया, दुलार दिया। उनकी सुख-सुविधा का ध्यान रखा। एक दो नहीं छह बार तमिलनाडु की कमान संभालने वाली जयललिता क्षेत्रीय नेता नहीं बल्कि देश की राजनीति में उनकी दखल थी। कोई भी पीएम रहा हो वह उन्हें खुद से अलग नहीं रख सका। ऐसे में काशीवासी भला कैसे ऐसी नेता को भूल सकता था। लिहाजा काशीवासी जुटे शहर के हृदय स्थल और गमगीन माहौल में अपनी प्रिय नेता को दी श्रद्धांजलि।
अम्मा भले बनारस नहीं आईं पर बनारसी करते थे प्रेम
मोक्ष नगरी काशी में अम्मा आईं या नहीं, काशीवासियों को इससे सरोकार नहीं। उन्हें महसूस किया कि कोई जनप्रतिनिधि भी इस कदर हो सकता है जो अपनी जनता को अपनी संतान समझ कर उनसे मोहब्बत करती थीं। काशीवासियों ने कहा कि ये जयललिता और तमिलनाडु की जनता के बीच का संबंध था जिसके चलते जनता 70 दिन से उनके स्वास्थ्य की पल-पल की खबर पर नब्ज रखे थी। उससे अलग नहीं थी काशी। यहां के लोग भी पिछले कई दिनों से टीवी चैनलों के माध्यम से जयललिता के स्वास्थ्य की जानकारी लेते रहे। चर्चा के बीच रहीं जयललिता। सोमवार और मंगलवार की आधी रात जब बनारस में जयललिता के निधन की सूचना आई तभी से लोगो ह्वाट्सएप और फेसबुक पर अपनी शोक संवेदना देने में जुट गए। यह सिलसिला रात भर चलता रहा। फिर सुबह अलग-अलग मोहल्लों में लोग जुटे और श्रद्धा सुमन अर्पित किया। खास तौर पर हनुमान घाट, जंगमबाड़ी जैसे मोहल्ले जहां दक्षिण भारतीयों की अच्छी खासी जमात है वहां शोक की लहर रही। हर दक्षिण भारतीय के साथ काशीवासी भी शोकाकुल रहे। काशी की संजीदा जनता ने तमिलनाडु और देश की लोकप्रिय नेता के निधन को अपनी क्षति माना। उन्होंने तमिलनाडु की जनता से खुद को जोड़ा। अभिनेत्री से नेता बनीं जयलललिता से जोड़ा और उन्हें श्रद्धा सुमन देने को जुट गए।
वंदे मातरम संघर्ष समिति ने दी श्रद्धांजलि
सामाजिक संस्था वंदे मातरम संघर्ष समिति के सदस्य जुटे गिरजाघर स्थित शहीद उधम सिंह पार्क। वहां उन्होंने स्व.जयललिता की तस्वीर पर माल्यार्पण किया। गमगीन माहौल में दी श्रद्धांजलि।