बता दें कि लगभग तीन साल पहले पूर्व कुलपति प्रो जीसी त्रिपाठी और पूर्व एमएस डॉ ओपी उपाध्याय के कार्यकाल में अस्पताल के मल्टीपर्पज काम के लिए मल्टी टास्क सर्विस के तहत कर्मचारियों की भर्ती की गई। हालांकि इसमें ज्यादातर नियुक्तियां पैरवी पर ही हुईँ। तय हुआ कि इन्हें प्रतिमाह 10 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। ये सिलसिला चलता रहा। कुलपति और एमएस के बदलने पर एक बार फिर से इनकी नियुक्ति पर सवाल उठा। मौजूदा कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने एक जांच कमेटी गठित की जिसकी रिपोर्ट इनके खिलाफ ही रही बावजूद इसके इनसे काम लिया जाता रहा। एक जांच कमेटी गठित की जिसकी रिपोर्ट इनके खिलाफ ही रही बावजूद इसके इनसे काम लिया जाता रहा।
इस बीच पूर्व एमएस प्रो विजय नाथ मिश्र के कार्यकाल में नियुक्त किए गए बाउंसरों को भी एमटीएस से जोड़ दिया गया। हालांकि उन्होंने इसका विरोध किया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब पिछले कई महीने से इन आउट सोर्सिंग वाले कर्मचारियों की छटनी की प्रक्रिया भी चल रही है। इनके मानदेय का भुगतान भी लंबित हो रहा था। अब इन कर्मचारियों का आरोप है कि पिछले दो माह से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। वो अपने रुके भुगतान की मांग को लेकर प्रदर्शऩ कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार जिस एसआईएस एजेंसी के तहत इन कर्मचारियों को एंटीएस के तहत नियुक्त किया गया है वह बिहार के रसूखदार राजनीति व्यक्तित्व वाले की एजेंसी है जो एसआईएस कंपनी के माध्यम से देश के सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में मैन पावर सप्लाई का कार्य करती है। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में इस कंपनी के खिलाफ जांच कराई गई जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर उसे काली सूची में डाल दिया गया। बावजूद इसके अपने रसूख की बदौलीत कंपनी कार्य रही है।