बाहुबली मोख्तार अंसारी के राज्यसभा में वोट देने पर रोक यूपी सरकार ने नहीं लगायी। सरकार इस मामल में कोर्ट पहुंची तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक नियम के तहत अंसारी के राज्यसभा चुनाव में वोट देने पर रोक लगा दी। आदेश आने के बाद जहां, सपा-बसपा खेमे में मायूसी है वहीं यह खबर भाजपा के लिये राहत भरी है। महज एक वोट की कमी से बसपा का राज्यसभा का सपना टूटता दिख रहा है।
राज्यसभा में यूपी की 10 सीटों के लिये चुनाव होना है। भाजपा ने नौ समाजवादी पार्टी ने एक और बसपा ने एक प्रत्याशी उतारे हैं। सबको मिला दें तो 10 सीट के लिये प्रत्याशियों की संख्या 11 है, जिससे राज्यसभा की चुनावी सियासत दिलचस्प हो गयी है। राज्यसभा की एक सीट के लिये 37 वोटों की जरूरत होती है। भाजपा गठबंधन के पाले में 324 सीटें हैं, जिससे उनकी आठ सीटों के लिये तो कोई मुश्किल नहीं। पर नवीं सीट पर उनका मुकाबला सपा-बसपा गठबंधन से है। भाजपा को इस सीट को जीतने के लिये नौ वोटों की और जरूरत है।
दूसरी ओर 47 सीटों वाली सपा का एक कैंडिटेड (जया बच्चन) तो आसानी से राज्यसभा जा रहा है, इसके बाद उसके 10 वोट बचते हैं। बसपा के 19 वोट और कांग्रेस के सात व आरएलडी के एक वोट को मिलाकर 37 का आंकड़ा पहुंच रहा था। राजा भइया ने भी अखिलेश के डिनर में शामिल होकर यह जता दिया कि वह सपा-बसपा गठबंधन के साथ जा सकते हैं। पर हाईकोर्ट से मोख्तार अंसारी की वोटिंग रोक दिये जाने के बाद अब गठबंधन के पास 36 वोट बचते हैं। ऐसे में यदि राजा भइया ने साथ नहीं दिया तो सीट भाजपा के खाते में जा सकती है।
मुख्तार ने खुलेआम वोट देने का किया था चैलेंज
रामसिंह मौर्य और सिपाही सतीश हत्याकांड में एक दिन पहले मऊ कोर्ट पहुंचे मुख्तार अंसारी ने कहा कहा तो था कि वह खुलेआम बसपा को वोट देंगे। पर इसके साथ ही उन्होंने यह आशंका भी जाहिर की थी कि सरकार उन्हें वोट देने से रोक भी सकती है। उन्होंने कहा था कि अगर तानाशाह सरकार मुझे राज्यसभा चुनाव में वोट देने का मौका दिया तो मैं बसपा को ही वोटिंग करूंगा। इसके बाद खबर आयी कि हरिओम यादव और मुख्तार अंसारी को राज्यसभा चुनाव में वोट देने की छूट मिल गयी है। पर इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश के बाद साफ हो गया कि वोट नहीं दे पाएंगे।