शिव को मनाने शक्ति आई मसाने बाबा श्मशाननाथ के इस तीन दिवसीय शृंगार महोत्वस की तीसरी और अंतिम निशा पर नगर वधुओं के भक्ति राग से श्मशान का वैराग्य दूर हुआ। ऐसी मान्यता है कि बाबा को मनाने के लिए शक्ति ने योगिनी रूप धरा था। उसी के तहत बाबा का प्रांगण रजनी गंधा, गुलाब, मदार व अन्य सुगंधित फूलों से सजाया गया। फिर संध्या काल में मंदिर के पुजारी लल्लू महाराज ने बाबा को पंचमकार का भोग लगाकर तांत्रोकत विधि से भव्य आरती उतारी। आरती के पश्चात नगर वधुंऔ ने अपने गायन व नृत्य के माध्यम से परंपरागत ढंग से बाबा को भावांजली समर्पित करते हुए मंन्नत मांगी कि बाबा अगला जन्म सुधारें। यह बहुत ही भावपूर्ण दृश्य था जिसे देखकर सभी लोगों की आखे डबडबा गईँ।
दुर्गा दुर्गति नाशिनी से शुरू हुआ नृत्य संगीत का कार्यक्रम सर्व प्रथम बाबा का भजन फिर दुर्गा दुर्गति नाशिनी, दिमिग दिमिग डमरू कर बाजे..., डिम डिम तन दिन दिन..., तू ही तू जगबक आधार तू... ओम नमः शिवाय..., मणिकर्णिका स्रोत ,खेले मसाने में होरी के बाद दादरा, ठुमरी व चैती लागा चुनरी में दाग छुडाऊं कैसे, घर जाऊं कैसे... गाकर नगर वधुओं ने बाबा के श्री चरणों में अपनी गीतांजलि अर्पित की। इनके बाद काशी के प्रसिद्ध भजनो को अपने सुमधुर गायन औम मंगलम औमकार मंगलम, बम लहरी बम बम लहरी जैसे भजनो से भक्तों को झुमने पर मजबूर कर दिया।
जैसे-जैसे नृत्य-संगीत का क्रम बढ़ता गया, पूरा माहौल भक्ति संगीत में का हर्ष छाने लगा हर-हर महादेव के उद्धोष के बीच मणिकर्णिका घाट पर नृत्य-संगीत का क्रम जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, शोक संतप्त वातावरण में भी भक्ति संगीत का हर्ष छाने लगा। शवदाह की करने श्मशान पहुंचे शव यात्री भी मंच की ओर बढ़ने लगे। ये सब साधारण नहीं था।
कलाकारों का हुआ सम्मान
इस मौके पर मंदिर के अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता ने कलाकारों और अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर, महामंत्री- बिहारी लाल गुप्ता, उपाध्यक्ष- दिलीप यादव (पूर्व पार्षद), विजय शंकर पांडेय, राजू साव, संजय गुप्ता, रौशन गुप्ता, विज्जु गुप्ता, बडकु यादव, मनोज शर्मा, दीपक तिवारी, अजय गुप्ता, रोहित पांडेय, रिकुं कुमार, राहुल पांडेय आदि मौजूद रहे।