विश्व वैदिक सनातन संघ की विधि सलाहकार समिति को किया भंग बता दें कि इससे पहले शनिवार को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की कार्यवाही रुकने के बाद विश्व वैदिक सनातन संघ की विधि सलाहकार समिति को भंग कर दिया था। रविवार को उन्होंने यह कह कर सबको अचंभित कर दिया कि वो सोमवार को अगस्त 2021 में जिला अदालत में दाखिला अपना मुकदमा वापस ले लेंगे। इसके पीछे उन्होंने कोई कारण नहीं बताया है।
पांच महिलाओं ने दाखिल किया गया था केस बता दें कि विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में दिल्ली निवासी राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने वाराणसी की जिला अदालत में अगस्त 2021 में मुकदमा दाखिल किया था। इस मुकदमे के माध्यम से अदालत से मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मांगी गई है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देव विग्रहों की सुरक्षा की मांग भी कोर्ट से की गई है। इस केस में उत्तर प्रदेश सरकार के जरिए मुख्य सचिव सिविल, डीएम वाराणसी, पुलिस कमिश्नर वाराणसी, अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के मुख्य प्रबंधक और बाबा विश्वनाथ ट्रस्ट के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया था।
विचार विमर्श कर रहे हैं कि क्या करना चाहिएःवादी महिला मंजू ब्यास यहां ये भी बता दें इस मुकदमें में 5 महिलाएं वादी हैं। इनमें से एक वादी मंजू व्यास ने कहा कि राखी सिंह को छोड़कर हम चार महिलाएं वाराणसी की ही हैं। हम लोग विचार कर रहे हैं कि हमें क्या करना चाहिए? बताया कि आम सहमति से निर्णय लिया जाएगा कि क्या करना है, मुकदमा वापस लेना है या नहीं।
वाद मित्र बोले, मुकदमा ही गलत दाखिल किया गया था इस मसले पर प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र और जिले के सीनियर एडवोकेट विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि वाद दाखिल करने वाली महिलाएं प्रार्थना पत्र देकर ज्ञानवापी का मुकदमा वापस ले सकती हैं। ये एक सामान्य प्रक्रिया है। उससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस मुकदमे के बाबत मेरा विधिक ज्ञान बताता है कि ये मुकदमा ही गलत दाखिल किया गया था। मुस्लिम पक्ष ने शृंगार गौरी मंदिर पर कभी दावा नहीं किया, न कभी उस जगह को अपना बताया था।
कोर्ट ने सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया पांच महिलाओं के याचिका दाखिल करने के बाद अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं फिर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। कोर्ट ने 10 मई को रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट के आदेश पर नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में 6 मई को चार बजे से करीब तीन घंटे तक ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया। हालांकि पहले ही दिन सर्वे को लेकर हंगामा खड़ा हो गया। मुस्लिम पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर पर ही पक्षपात का आरोप लगा दिया, कहा कि वो पार्टी बनकर सर्वे करा रहे हैं। इस मुद्दे पर मुस्लिम पक्ष ने अदालत में प्रार्थना पत्र भी दिया जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए वादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर को उनका पक्ष रखने के लिए 9 मई की तिथि तय की और सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
शनिवार को सर्वे कार्य रोक देना पड़ा कोर्ट के निर्देस पर सात मई को फिर से सर्वे की कार्यवाही शुरू हुई लेकिन कुछ ही देर में कार्यवाही रोक देनी पड़ी। इस संबंध में वादी पक्ष का आरोप रहा कि मस्जिद में मौजूद करीब 500 से ज्यादा मुस्लिमों ने उन्हें सर्वे के लिए अंदर नहीं जाने दिया। इस वजह से वो सर्वे छोड़ कर जा रहे हैं और अब अपना पक्ष 9 मई को अदालत में रखेंगे। दोनों पक्ष 9 मई को अदालत में सुनवाई का इंतजार कर ही रहे थे कि रविवार को जितेंद्र सिंह बिसेन ने यह घोषणा कर सबको चौंका दिया कि वह अपना मुकदमा वापस ले लेंगे।
इससे पहले 1996 में रुक चुकी है सर्वे की कार्यवाही
बता दें कि इससे पहले 1996 में भी ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश कोर्ट ने दिया था। लेकिन सर्वे शुरू हो इससे पहले ही कोर्ट कमिश्नर को मुस्लिम पक्ष के विरोध का समामना करना पड़ा जिसके चलते सर्वे की कार्यवाही रोक दी गई थी।