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हवा में घुलता जहर जन्म से पहले ही बच्चों को कर रहा बीमार, नवजात शिशुओं के औसत वजन में आ रही कमी

locationवाराणसीPublished: Nov 04, 2018 04:01:16 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

पर्यावरणविदों की सलाह, दीपावली पर पटाखा न छोड़ें, अमूल्य जीवन को बचाएं।

वायु प्रदूषण पर प्रतीकात्मक फोटो

वायु प्रदूषण पर प्रतीकात्मक फोटो

वाराणसी. स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है। वायु-प्रदूषण के परिणाम बहुत घातक हैं। कारण वायु का सीधा संबंध धरती पर जीवन से है, इसलिए यह अधिक चिंता का कारण बन रहा है। लोग अशुद्ध वायु में सांस लेकर अनेक प्रकार की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं जैसे आख- नाक और गले का इन्फेक्शन,सांस फुलना, दिल का रोग, फेफड़े का कैंसर, श्वांस संबंधी बीमारियां, अस्थमा, टी वी, ह्रदय घात आदि। शहरों में स्थिति खतरनाक सीमा को पार कर चुकी है । वायु में गंदगी मिलाने वाले तत्वों की मात्रा घटाकर इस समस्या से बचा सकता है । वन-संरक्षण और पौधपोरण भी इसका एक प्रभावी इलाज है। वायु-प्रदूषण को कम करने वाले उपायों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए।
दी क्लाइमेट एजेंडा सीनियर रिसर्चर धीरज कुमार दबगरवाल ने पत्रिका को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर वर्ष प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से 07 मिलियन लोगो की मौत हो जाती हैं। दुनिया के 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे हर दिन जहरीली हवा में सांस लेते हैं। डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि 2016 में 600,000 बच्चों की मौत हो गई। भारत में 2016 में पांच वर्ष से कम उम्र के तक़रीबन 01 लाख बच्चे, इंडोर एवं आउटडोर वायु प्रदूषण के चपेट में आ कर मौत की नींद सो गए। भारत मे पी एम 2.5 के कारण गर्भावस्था मे पल रहे बच्चे का वजन प्रभावित होता है। देश मे कई स्वास्थ्य केंद्रों पर 1285 गर्भवती महिलाओं पर शोध किया गया। इस आधार पर यह कहा जा सक्ता है की भारत मे नवजात बच्चों के औसत से कम वजन के होने के पीछे वायू प्रदूषण एक बडा कारण है। वायु प्रदूषण से होने वाली मौत के लिए तीन बड़े कारक हैं, ये हैं -स्ट्रोक (2.2मिलियन मौत), हृदय रोग (2.0 मिलियन), फेफड़ों की बीमारी और कैंसर (1.7 मिलियन मौत) हैं। अभी कुछ ही दिन पहले वाराणसी के पार्षद राजेश की फेफड़े के कैंसर से मौत हुई है।
दबगरवाल ने बताया कि वायुमंडल पर्यावरण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। मानव जीवन के लिए वायु का होना अति आवश्यक है। वायुरहित स्थान पर मानव जीवन की कल्पना करना करना भी बेकार है क्योंकि मानव वायु के बिना 5-6 मिनट से अधिक जिंदा नहीं रह सकता। एक मनुष्य दिन भर में औसतन 20 हजार बार श्वास लेता है। इसी श्वास के दौरान मानव 35 पौंड वायु का प्रयोग करता है। यदि यह प्राण देने वाली वायु शुद्ध नहीं होगी तो यह प्राण देने के बजाय प्राण ही लेगी। भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां वायु प्रदूषण उच्चतम स्तर पर है।
वह कहते हैं कि हवा में घुला प्रदूषण सांसों के रास्ते शरीर में जाकर नुकसान पहुंचा रहा है। ये स्थिति तब है जब अभी दिपावाली पर जलाए जाने वाले पटाखों से निकलने वाला धुंआ हवाओं में घुला नहीं है। आमतौर पर प्रदूषण की जब भी बात होती है तो ख़बरें दिल्ली तक ही सीमित रहती हैं। मगर 28 अक्टूबर को प्रदूषण के मामले में एक ऐसा राज्य सबसे आगे रहा, जहां की आबादी भारत में सबसे ज़्यादा है, वह है उत्तर प्रदेश. एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक़, 28 अक्टूबर को भारत के जिन 66 शहरों में सबसे ज़्यादा प्रदूषण रहा, उनमें उत्तर प्रदेश की 11 जगहें शामिल हैं।
वाराणसी में वायु प्रदूषण का स्तर

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