मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज, चीफ सेक्रेट्री यूपी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव से लेकर नगर निगम तक को नोटिस।
काशी में वायु प्रदूषण
डॉ. अजय कृष्ण चतुर्वेदी वाराणसी. काशी की जहरीली होती आबोहवा पर आखिकार एऩजीटी ने संज्ञान लिया। इतना ही नहीं एनजीटी ने केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वाराणसी विकास प्राधिकरण व नगर निगम तक को नोटिस सर्व कर दिया है। एनजीटी में वाराणसी के बद से बदतर वायु प्रदूषण पर 15 जनवरी 2018 को शिकायत की गई थी। बता दें कि वाराणसी के वायु प्रदूषण के खिलाफ पत्रिका ने मुहिम चला रखी है। पिछले दो साल से लगातार बिगड़ती आबो हवा पर खबरें लिखी गईं। जब दीवाली पर पूरे देश की निगाह केवल और केवल दिल्ली एनसीआर की तरफ थीं तब पत्रिका ने वाराणसी की आबो हवा में घुलते जहर का मुद्दा उठाया था। अक्टूबर से लेकर जनवरी तक के PM- 2.5 व PM-10 के अद्यतन आंकड़ों के साथ खबरें प्रसारित की गईं। वायु प्रदूषण से होने वाले खतरों और उससे फैलने वाली बीमारियों तक पर खबरें लिखी गईं। इसका नतीजा है कि एनजीटी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय अफसरों को नोटिस जारी किया। इतना ही नहीं एनजीटी के नोटिस के बाद काशी के ग्रामीण इलाकों में उसका असर भी दिखने लगा है। वहां अब साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाने लगा है, सफाईकर्मियों को जरूरत के मुताबिक उपकरण मुहैया कराए जाने लगे हैं। बता दें कि पत्रिका ने छह जनवरी तक के आंकड़ों के साथ सात जनवरी को खबर लिखी थी। उसके बाद ही यह शिकायत की गई है।
बता दें कि काशी की आबोहवा हालफिलहाल गड़बड़ हुई है। इसके लिए वर्षों लगे। लेकिन इसकी तरफ स्थानीय प्रशासन का ध्यान कभी नहीं गया। पत्रिका ने इस बात पर लगातार लिखा। प्रशासन को लगातार सचेत करने की कोशिश की गई। लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल सड़कों पर पानी छिड़कने और कूड़े में आग न लगाने की हिदायत दी जाती रही। यह दीगर है कि उस पर भी अमल नहीं हुआ। दीवाली के मौके पर जब सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई तो पत्रिका ने वाराणसी में यह मुद्दा उठाया। यहां तक लिखा गया कि छोटे से छोटे पर्व और उत्सव मनाने के लिए सबसे सस्ता उपाय आतिशबाजी हो गई है। लगन के मौसम में हर चार कदम पर बारतियों द्वारा सड़क घेर कर आतिशबाजी की जाती है जिससे वातावरण में काला धुआं उठता है जो और कुछ नहीं कार्बन है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। पत्रिका ने खुदे हुए पूरे शहर से उड़ती धूल को भी फोकस बनाया जिससे वायु प्रदूषण ज्यादा प्रभावित हो रहा है। लोगों के फेफड़ों में जहर घुल रहा है। इतना ही नहीं रोड साइड निर्माण का मुद्दा भी उठाया गया। लेकिन प्रशासन की नींद नहीं खुली।
पत्रिका की इस मुहिम में हर कदम पर सगयोगी रही केयर 4 एयर संस्था। केयर 4 एयर की संस्थापिका एकता शेखर की टीम ने पूरी शिद्दत के साथ बनारसी की खराब होती आबोहवा पर काम किया। बनारस से लखनऊ तक रैली निकाली। समय-समय पर जन जागरूकता अभियान चलाया। अभी 24 घंटे पहले ही इसी मुद्दे पर धर्म संसद तक आयोजित की। केयर 4 एयर ने पत्रिका को एक-एक दिन का रिकार्ड मुहैया कराने में भी सहयोग किया। पत्रिका की हर खबर को सोशल मीडिया पर शेयर किया।
वायु प्रदूषण का कहर केवल शहर तक सीमित नहीं रहा बल्कि गांव भी इससे प्रभावित हुए। ऐसे में जन अधिकार मंच के अनिल मौर्य ने एनजीटी में 15 जनवरी को शिकायत दर्ज कराई। यह जानकारी आराजीलाइन ब्लाक निवासी राजकुमार गु्त ने पत्रिका को दी। उन्होने बताया कि एनजीटी ने जन अधिकार मंच की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज, इंदिरा पर्यावरण भवन के सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेट्री, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव, वाराणसी विकास प्राधिकरण और नगर निगम को नोटिस सर्व किया है। नोटिस में काशी की खराब होती आबोहवा पर नियंत्रण के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने को कहा गया है।
आराजीलाइन ब्लाक में दिखने लगा बदलाव राजकुमार ने पत्रिका को बताया कि इस नोटिस के बाद आराजीलाइन ब्लाक में काफी हद तक बदलाव दिखने लगा है। सफाईकर्मियों को न केवल यूनीफार्म मिल गए हैं बल्कि उन्हें साफ-सफाई के लिए आवश्यक उपकरण तक मुहैया करा दिए गए हैं। गांवों में सफाई होने लगी है। सार्वजनिक शौचालयों से निकलने वाली गंदगी को उठाने के लिए भी आवश्यक उपकरण मुहैया करा दिए गए हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
CPCB के तहत बनारस में वायु प्रदूषण की स्थिति 6 जनवरी 2018 Pm2.5 max- 356 min- 77 Avg- 208 PM10 max-321 Min-181 Avg-257 5 जनवरी 2018 Pm2.5 max- 500 min- 78 Avg- 220 PM10 max-494 Min-152 Avg-298