बीजेपी का हमेशा से दावा रहा है कि चुनाव में मतो का प्रतिशत बढ़ता है तो उसे लाभ होता है। बीजेपी का कहना रहता है कि विरोधी दलों के परम्परागत वोटर हमेशा अपने पार्टी के साथ जाते हैं और बीजपी समर्थित शहरी मतदाता जब निकलते हैं तो वोटों का प्रतिशत बढ़ जाता है। सपा, कांग्रेस व बसपा ने अपने पक्ष में अधिक मत प्रतिशत बढऩे का दावा किया है। यह तो तय है कि चुनाव में वोटिंग लिस्ट को लेकर इतनी गड़बड़ी नहीं होती तो यह प्रतिशत और बढ़ जाता है।
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संसदीय व विधानसभा में भी बढ़ गया था वोटों का प्रतिशत
संसदीय चुनाव 2014 व यूपी विधानसभा 2017 की बात की जाये तो वोट प्रतिशत अधिक था। इन दोनों चुनाव में बढ़े हुए वोट प्रतिशत का लाभ बीजेपी को मिला था इस बार देखना है कि जनता किस पर मेहरबान है। वोट प्रतिशत बढऩा लोकतंत्र के लिए अच्छा होता है। बसपा ही ऐसी पार्टी रही है, जिसके वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव प्रचार नहीं किया है। सपा व कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने विजयी पताका फहराने के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया है। बीजेपी की बात की जाये तो खुद सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने लगातार चुनावी दौरा किया है। निकाय चुनाव के लिए जब सीएम ही मैदान में उतर गये हैं तो फिर अन्य क्या नेताओं की क्या बात की जाये।
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किसके पाले में जायेगा पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी
पांच प्रतिशत वोटों की बढ़ोतरी किसी पाले में जायेगी। इसका खुलासा १ दिसम्बर को होगा। बढ़े हुए वोट विभिन्न दल में जाते हैं तो प्रत्याशियों के बीच हार व जीत का अंतर कम हो जायेगा। यदि प्रतिशत किसी एक दल की और जाता है तो उसकी जीत तय हो जायेगी।
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